नाहन, 30 अगस्त : हिमाचल सरकार द्वारा मुख्यमंत्री एक बीघा योजना का शुभारंभ 21 मई, 2020 को किया गया। ग्रामीण विकास विभाग के माध्यम से संगठित स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने का मकसद तय किया गया था। ग्रामीण महिलाओं को अपनी एक बीघा जमीन पर शाक वाटिका स्थापित करने के लिए 1 लाख रूपए तक की राशी हिमाचल सरकार द्वारा प्रदान की जा रही है। शाक वाटिका में प्राकृतिक खेती के माध्यम से उगाए गए फल, सब्जियां और औषधीय पौधों को बेचकर महिलाएं अपनी आर्थिक स्थिति को सुद्ढ करने के साथ-साथ इनका घर में नियमित रूप से इस्तेमाल कर अच्छे स्वास्थ्य का लाभ भी ले सकती हैं।
उपायुक्त डॉ आर केे परूथी द्वारा सिरमौर में मुख्यमंत्री एक बीघा योजना में नई पहल कर, सुरक्षा चक्र व माया चक्र को इस योजना में समावेश कर शाक वाटिका में औषधीय पौधे एवं सुगन्धित पौधों की खेती के लिए प्रेरित किया जा रहा है। यह पौधे मुख्यतः एन्टी-वॉयरल, एन्टी बैक्टीरियल एवं एन्टी-फंगल गुणों से भरपूर है, जिनका इस्तेमाल कई बीमारियों के इलाज में किया जाता है। यह व्यक्तियों में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में कारगर सिद्ध होते हैं। यह पौधे व्यापारिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हैं। इन पौधों का अधिक उत्पादन कर बाजार में अच्छे दाम प्राप्त किए जा सकते है, जिसका सीधा लाभ जिला की ग्रामीण महिलाओं को मिलेगा और उनकी आर्थिकी भी बढ़ेगी और स्वास्थ्य लाभ भी प्राप्त होगा।
सुरक्षा चक्र की इस पहल के अनुसार सबसे पहले शाक वाटिका को तीन चक्रो में विभाजित किया जाता है। पहले व सबसे बाहरी चक्र में कांटेदार व औषधीय पौधे रोपित किए जाते है, जैसे कश्मल व करौंदा के पौधे। इन पौधों को आवारा पशु नहीं खाते हैं और यह पौधे औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं। करौंदा पाचन शक्ति बढ़ाता है, डायबिटीज व घाव के उपचार में उपयोगी होने के अतिरिक्त कई बीमारियों को ठीक करने में काम आता है। इन पौधों को घर के चारों ओर लगाने व नित्य सेवन से लोगों में फगल, बैक्टीरियल व वायरल रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है।
सुरक्षा चक्र की इस पहल के अनुसार सबसे पहले शाक वाटिका को तीन चक्रो में विभाजित किया जाता है। पहले व सबसे बाहरी चक्र में कांटेदार व औषधीय पौधे रोपित किए जाते है, जैसे कश्मल व करौंदा के पौधे। इन पौधों को आवारा पशु नहीं खाते हैं और यह पौधे औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं। करौंदा पाचन शक्ति बढ़ाता है, डायबिटीज व घाव के उपचार में उपयोगी होने के अतिरिक्त कई बीमारियों को ठीक करने में काम आता है। इन पौधों को घर के चारों ओर लगाने व नित्य सेवन से लोगों में फगल, बैक्टीरियल व वायरल रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है।