नाहन, 19 अगस्त : शहर के मोहल्ला गोविंदगढ़( Mohalla Govind Garh) ने करीब एक महीने में कोरोना को मात दे दी है। 15 जुलाई से 6 अगस्त तक संक्रमितों का आंकड़ा 218 तक पहुंच गया, जो चौंकाने वाला था। आप जानकर हैरान होंगे कि इसमें से अधिकांश की पहली फॉलोअप रिपोर्ट ही नेगेटिव आ गई थी। हालांकि मोहल्ले को कंटेनमेंट जोन(Containment zone) से बाहर करने का सिलसिला शुरू हो गया है। अब केवल उन घरों को ही कंटेनमेंट जोन में रखा जाएगा, जहां से 6 जून को आखिरी मामले सामने आए थे। शहर की आर्थिक व्यवस्था में सिख समुदाय का ये मोहल्ला अहम भूमिका निभाता है।
16 जुलाई के बाद से मोहल्ले की करीब 2500 की आबादी घरों में ही कैद थी। लिहाजा, गुजर-बसर के लिए संस्थाओं के अलावा प्रशासन पर ही निर्भर थे। बता दें कि 15 जुलाई को नाहन मेडिकल कॉलेज(Nahan Medical college) में दाखिल एक गर्भवती महिला की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी, जिसे शिमला रैफर किया गया था। नवजात शिशु(Infant) की रिपोर्ट से पहले ही महिला को हरा चुकी थी। 15 अगस्त को मोहल्ले की रहने वाली गुरमीत कौर को प्रशासन द्वारा कोरोना वॉरियर के तौर पर भी सम्मानित किया गया। कुल मिलाकर खास बात यह भी है कि ये मेहनतकश लोग घरों से बाहर आकर अपनी रोजी-रोटी दोबारा कमा सकेंगे।
ये है बिरादरी का संक्षिप्त इतिहास…
ऐसा माना जाता है कि सिखों के दसवें गुरू गोविंद सिंह जी महाराज जब 1684 में सिरमौर रियासत के शासक मेदनी प्रकाश के निवेदन पर नाहन आए थे, उस समय गुरू जी महाराज इस बिरादरी को साथ लेकर आए थे। क्योंकि ये लोग हथियारों खासकर तलवारों, कृपाण इत्यादि बनाने में तो माहिर थे ही, साथ ही इनका इस्तेमाल भी बखूबी कर सकते हैं। हालांकि अधिकतर ने अब इस व्यवसाय को इस कारण भी छोड़ दिया है, क्योंकि इससे कोई आमदनी का जरिया नहीं रहा है। बावजूद इसके कैंची-चाकू के अलावा तलवार की धार आज भी करने में कुछ लोग एक्पर्ट हैं।
गौरतलब है कि मोहल्ला गोविंदगढ़ वार्ड नंबर 6 व 13 में आता है। हॉटस्पॉट बनने के बाद इसे चार सैक्टर्स में बांटा गया था। अब इन्हें चरणबद्ध तरीके से अनलॉक किया जा रहा है। उधर, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ.केेके पराशर का कहना है कि मोहल्ले से अंतिम मामला 6 अगस्त को रिपोर्ट हुआ था। अब क्षेत्र को चरणबद्ध तरीके से कंटेनमेंट जोन से बाहर किया जा रहा है।