शिमला, 06 अगस्त : हिमाचल प्रदेश(Himachal Pardesh) के लोगों खासकर युवाओं में जिंदगी की चुनौतियों का सामना कर आगे बढने का रास्ता ढूंढने के बजाए मौत को गले लगाने की प्रवृत्ति हावी होने लगी है। इसे युवाओं की बदलती हुई मानसिकता(Mentality) का परिणाम कहें या उनके मन में हताशा का नतीजा। पहाड़ी राज्य(Hill state) में इस साल सात माह ( 213 days )में 466 लोग मौत को गले लगा चुके है। आत्महत्या के मामलो में पुलिस की डायरी में दर्ज आकड़ों पर गौर करे तो राज्य में जनवरी माह से जुलाई माह तक 291 पुरूष व 175 महिलाएं खौफनाक कदम उठाकर असमय ही दुनिया से रूखसत हो गए। 466 में से 62 फीसदी पुरुषों ने मौत को चुना, वही महिलाओ का आंकड़ा 38 % रहा। कोरोना(Corona) संकट की इस घड़ी में बेरोज़गारी यानी रोज़गार छिन जाना भी इसका एक कारण माना जा रहा है।
जनवरी माह में 40, फरवरी में 45, मार्च में 32, अप्रैल में 47, मई में 89, जुन में 112 और जुलाई माह में 101 लोगों ने आत्महत्या की है। जनवरी माह मे जहां सप्ताह में औसतन 10 लोग ने आत्महत्या की, वहीं फरवरी में सप्ताह भर में आत्महत्या करने वालो का यह आंकड़ा 11.25 तक पहुंच गया। मार्च माह की बात करें तो सप्ताह में औसतन 8 लोगों ने खुद मौत को गले लगाया। अप्रैल में 11.75, मई में 22.25, जुन में 28 और जुलाई माह में हर सप्ताह 25.25 लोगो ने आत्महत्या की है जो कि प्रदेश और पुलिस महकमे के लिए चिंता का सबब है। आत्महत्या करने में जहां युवकों (Youths) का आंकड़ा काफी ज्यादा है वही युवतियां और विवाहित महिला भी आत्महत्या करने में पीछे नहीं है।
उधर, सूबे के डीजीपी संजय कुंडू (DGP Sanjay kundu) ने आत्महत्या के बढ़ते मामलों पर चिंता जताई है। इसे लेकर संजय कुंडू की तरफ से स्वास्थ्य विभाग, श्रम एंव रोजगार विभाग और समाजिक न्याय अधिकारिता विभाग को अर्लट किया गया है कि शांत हिमाचल में हो रहे आत्महत्या(Suicide) के मामलो में लोगो को जागरूक करे। चूंकि पुलिस विभाग (Police Department) की जांच में अधिकतर पारिवारिक माहौल और मानसिक तनाव (Mental stress) ही आत्महत्या का कारण सामने आ रहा है।
पुलिस सर्वे (Police Survey) के अनुसार सूबे में सबसे ज्यादा विवाहिता महिला (Married women) और कामगर (Labour) आत्महत्या कर रहे है। महिलाए घरेलू हिंसा (Domestic violence) के चलते यह कदम उठा रही है तो कामगर की आत्महत्या के पीछे उनका शोषण (Victimization) और उन्हे ठेकेदारों द्वारा पैसा न दिया जाना ही सामने आया है। मानसिक तनाव, कागमारो का शोषण और घरेलू हिंसा के चलते हो रही आत्महत्या को रोकने के लिए पुलिस महकमे ने तीनों विभागो को अर्लट किया है और लोगो को जागरूक करने और पुलिस को सहयोग देने की बात कही गई है ताकि प्रदेश में बढ़ती आत्महत्या की प्रवृत्ति पर रोक लगाई जा सके।