नाहन, 27 जुलाई : प्रशासन की मुहिम ‘‘मेड इन सिरमौर’’ (Made in Sirmour) के तहत इस बार जनपद में अनोखी राखी उपलब्ध होगी। भाईयों की कलाई में बंधन के बाद इससे मिट्टी में फूल भी खिलेंगे। लाजमी तौर पर आपके जहन में दो पंक्तियां पढ़कर ही जिज्ञासा पैदा हो चुकी होगी। तो चलिए, बताते हैं…
दरअसल, पहली मर्तबा पर्यावरण के अनुकूल राखियां तैयार हो चुकी हैं। इसकी खासियत यह है कि इसमें खास तरह के बीज लगे हैं। हर भाई कलाई से राखी नहीं उतारना चाहता, लेकिन धीरे-धीरे इसके खराब होने पर उतारना भी मजबूरी होती है। इस बार भाई कलाई से उतरी राखी को अगर घर के गमले में डालेंगे तो इससे पौधे उगेंगे। राखी का शेष हिस्सा भी पर्यावरण हितैषी है, जो खाद का काम करेगा।
सोमवार को उपायुक्त डॉ. आरके परुथी (Dr. RK Pruthi) ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (Manrega) के तहत गठित स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा तैयार किए गए उत्पादों के विक्रय केंद्र का उदघाटन किया। इसमें मनमोहक राखियां भी रखी गई हैं। उपायुक्त का कहना है कि इससे पर्यावरण संरक्षण को तो मदद मिलेगी ही, साथ ही महिलाओं को रोजगार भी उपलब्ध होगा। उपायुक्त का मानना है कि इस प्रकार के उत्पाद तैयार करने से सिरमौर को एक अलग पहचान मिलेगी। साथ ही महिलाओं को रोजगार भी हासिल होगा। उपायुक्त ने कहा कि डीआरडीए कार्यालय में शुरू किए गए विक्रय केंद्र में बांस से बने उत्पाद,आचार, बच्चों के परिधान, कपड़ों के थैले व मास्क इत्यादि भी विक्रय हेतु रखे गए हैं।
इस अवसर पर डीआरडीए (DRDA) की परियोजना अधिकारी कल्याणी गुप्ता, बीडीओ अनूप शर्मा व प्रगति स्वयं सहायता समूह की सोमा तोमर भी मौजूद रहे। बता दें कि हाल ही में प्रशासन की कोशिश पर ऐसी लडि़यां बनाने का भी फैसला लिया गया है जो पूरी तरह से सिरमौर में ही बनी होगी। इससे रोशनी के त्यौहार पर प्रकाश किया जाएगा। ये लडि़यां चीन के सजावटी समान का भी विकल्प होंगी।
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