आनी (कुल्लू)/ राकेश ठाकुर
हकीकत बनाना है एक फसाने को, अजम दिखाना है जमाने को…. इन पंक्तियों को शिल्ली ग्राम पंचायत के ऊंचाई पर बसे बाईधार गांव के दीपक ठाकुर ने सार्थक कर दिखाया है। बागवानी(Horticulture) युवा इंजीनियर(Young Engineer) का पेशा व जुनून है। सेब का बगीचा(Apple Orchard) ऊंची चोटी पर स्थित होने की वजह से फसल को मंडियों तक पहुंचाना नामुमकिन था। पहले इस युवा इंजीनियर दीपक ठाकुर ने टावरों के ऊपर से गुजरने वाला एक रोपवे तैयार किया। इसकी लागत लगभग 11 लाख रुपए आई। इसके बाद फसल को गोदाम तक पहुंचाने में समय व श्रम का इस्तेमाल कम करने के मकसद से कबाड़ से ही एक मालवाहक वाहन तैयार कर दिया। जो बगीचे से गुजरता है। 400 किलो की क्षमता वाली इस मशीन में 11 सेब के क्रेट(Apple Crate) आ जाते हैं, जिन्हें आसानी से गोदाम तक पहुंचाया जा सकता है।
सोच यहीं नहीं रुकी, 2010 में एक एप्पल ग्रेडिंग(Apple grading) मशीन खरीदी। इसकी हर रोज ग्रेडिंग करने की क्षमता मात्र 100 पेटियों की थी। आप यह जानकर हैरान हो जाएंगे कि अपनी उच्च तकनीक का इस्तेमाल करते हुए इसकी क्षमता बढ़ाकर 1000 पेटियों तक कर दी। यही नहीं पेटियों को स्पैन तक पहुंचाने के लिए एक लिफ्ट भी तैयार कर दी है। यह लिफ्ट 40 मिनट में 550 पेटियों को उठाने की क्षमता है। इसके अलावा इंजीनियर दीपक ठाकुर ने उच्च घनत्व पौधारोपण के लिए भी एक मैकेनिज्म तैयार किया है। घर में ही हाईड्र्रोलिक एक्सक्वेटर मशीन तैयार की है। अपने घर को उच्च तकनीक से जोड़ना व घर में ही इस्तेमाल होने वाली वस्तुओं को अलग रंग देने में भी अपनी एक खास पहचान रखते हैं। युवा इंजीनियर दीपक ठाकुर(Er Deepak Thakur) ने घर पर एक ऐसा तंदूर भी तैयार किया है, जो धुआंरहित है व अति आधुनिक है।
दिलचस्प बात यह है कि युवा इंजीनियर दीपक ठाकुर को कई नामी कंपनियों से जाॅब के ऑफर(Job offer) भी आए, लेकिन वो घर पर ही रहकर कुछ अलग कर दिखाना चाहते हैं। इंजीनियर दीपक ठाकुर के टैलेंट को एप्पल ब्लूम पत्रिका में भी स्थान मिल चुका है। बता दे इन तमाम उपलब्धियों को हासिल करने में इंजीनियर दीपक ठाकुर को बरसों लगे है, लेकिन अब मेहनत रंग ला चुकी है। युवा इंजीनियर की सोच व कोशिश उन लोगो के लिए मिसाल है जो जीवन में यह समझ लेते है कि राह कठिन है। युवा इंजीनियर ने साबित किया कि कुछ भी नामुमकिन नहीं है।