शिमला, 14 जुलाई : राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने भारत सरकार से 40 मेगावाट क्षमता वाली रेणुका जी बांध परियोजना ( Shri Renuka Dam) को निवेश स्वीकृति प्रदान करने की प्रक्रिया को शीघ्र पूरा करने का आग्रह किया है, ताकि वित्तीय मामले की कैबिनेट समिति से परियोजना प्रस्ताव स्वीकृत हो सके और इस परियोजना के निर्माण गतिविधियाँ आरम्भ हो सकें।
राज्यपाल ने केन्द्रीय जल शक्ति, जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत को एक पत्र लिख कर कहा है कि प्रदेश सरकार (Himachal Government) इस परियोजना के सभी उद्देश्योें को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है और सभी तकनीकी स्वीकृतियां प्राप्त की जा चुकी हैं। उन्होंने कहा कि सभी जरूरी स्वीकृतियां जैसे पर्यावरण स्वीकृतियां, वन स्वीकृतियां (चरण-1) आदि भी प्राप्त कर ली गई हैं। उन्होंने कहा कि केवल वन स्वीकृति (forest clearance) चरण-2 मिलना शेष है, जिसे भारत सरकार से धनराशि प्राप्त होने के उपरान्त और प्रदेश के कैम्पा खाते में 577.62 करोड़ रुपये जमा करने के उपरान्त प्राप्त कर लिया जाएगा।
दत्तात्रेय ने कहा कि यह यह राष्ट्रीय महत्व (National Importance) की परियोजना है तथा इस परियोजना के जलाशय (Water Bed) में 49,800 एचएएम (0.498 बीसीएम) की भण्डारण क्षमता होगी तथा दिल्ली को 23 क्यूसेक्स जलापूर्ति होगी। यमुना तट पर बसे 6 राज्य जिनमें हरियाणा (Haryana), उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान शामिल हैं, इस परियोजना से लाभान्वित होंगे। इस परियोजना से हिमाचल प्रदेश (Himachal Pardesh) को 40 मेगावाट की विशुद्ध ऊर्जा प्राप्त होगी तथा जिले के दूरदराज क्षेत्रों की सामाजिक आर्थिक विकास में यह महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। उन्होंने कहा कि परियोजना को जमीन पर उतारने के लिए कुछ प्रणालियों को शीघ्र अतिशीघ्र लागू करना पड़ेगा। जल शक्ति विभाग में स्वीकृति के लिए निवेश प्रस्ताव लंबित है तथा इनकी स्वीकृति के उपरान्त इन्हें आर्थिक मामलों की कैबिनेट (Cabinet) समिति के समक्ष रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि स्वीकृति के उपरान्त भारत सरकार से धन मिलना आरम्भ होगा तथा राज्य सरकार द्वारा की जाने वाली सभी आवश्यक औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं।
राज्यपाल(Governor) ने कहा कि राज्य सरकार को विभिन्न संदर्भ/अपीलीय न्यायालयों द्वारा दिए गए निर्णयों के मुताबिक भू-मालिकों को बढ़ा हुआ भू-मुआवजा प्रदान करना होगा। उन्होंने कहा कि ऐसा तभी संभव होगा जब केंद्र से धन आएगा तथा इसके अभाव में राज्य सरकार को विभिन्न न्यायालयों में कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है।