शिमला: मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर द्वारा बसों को 100 फीसदी सवारियों के साथ चलाने की घोषणा के बाद आज शाम इस बाबत अधिसूचना जारी कर दी गई है। लेकिन अहम बात यह है कि अधिसूचना में बसों में 100 फीसदी यात्रियों के बैठने का जिक्र नहीं है। इससे निजी बस आपरेटरों में असमंजस की स्थिति बन गई है। अधिसूचना में आपदा प्रबंधन कानून के प्रावधानों में ढील देते हुए सामाजिक दूरी बनाए रख कर बसों में यात्रियों के सफर करने की बात कही गई है।
प्रधान सचिव परिवहन कमलेश कुमार पंत की तरफ से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि बसों में 60 फीसदी सवारियों के बैठने के पिछले आदेशों में छूट दी गई है। साथ ही यह भी शर्त लगाई गई है कि बसों में सामाजिक दूरी का पालन करना होगा और कोई भी यात्री खड़े होकर सफर नहीं कर सकेगा। अहम बात यह है कि अधिसूचना में बसों की सिटिंग कैपेसिटी को 100 फीसदी करने का उल्लेख नहीं है। यही वजह है कि निजी बस आपरेटर असमंजस में हैं।
उनका कहना है कि सरकार ने गोलमोल अधिसूचना जारी की है। सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि बसों में कितने फीसदी यात्री सफर कर सकते हैं। एक तरफ सरकार द्वारा मौखिक रूप में बसों को 100 फीसदी सवारियों के साथ चलाने का दावा किया जा रहा है, दूसरी ओर सोशल डिस्टैंसिंग की कंडीशन लगाई गई है।
निजी बस आपेरटर यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष राजेश पराशर ने संपर्क करने पर बताया कि अधिसूचना में बसों में सवारियों की मौजूदगी को लेकर कुछ भी स्पष्ट नहीं किया गया है। उन्होंने कहा है कि सरकार के इस ताजा आदेश की लीगल एडवाइज लेने के बाद ही अगला कदम उठाया जाएगा।
वहीं यूनियन के सचिव रमेश कमल ने बताया कि अधिसूचना में 100 फीसदी सवारियों को बिठाने का उल्लेख नहीं है, जिसकी खुद मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी। उन्होंने कहा है कि मौजूदा हालात में निजी बसों को चलाने में भारी घाटा उठाना पड़ रहा है। यूनियन की तरफ से छह सूत्रीय मांग पत्र सरकार को सौंपा गया है। सरकार की तरफ से राहत मिलने के बाद ही निजी बसें सड़कों पर दौड़ सकती हैं।