सोलन : “सैंया भये कोतवाल तो डर काहे का” की कहावत सोलन के जिला आयुर्वेदिक अस्पताल पर लागू होती है। जिला आयुर्वेदिक अस्पताल में कोरोना महामारी के चलते अधिकारियों की बड़ी लापरवाही सामने आई है। जहां एक तरफ प्रशासन, सरकार एवं आम लोगों के सहयोग से कोरोना पर काबू पाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं, वहीं कुछ ऐसे लोग भी हैं जो न केवल स्वयं की परवाह कर रहे हैं बल्कि आम लोगों के जीवन को भी समस्या में डालने से नहीं चूक रहे है। ऐसा ही मामला जिला आयुर्वेदिक अस्पताल में सामने आया है।
कुछ रसूकदार लोगों की मिलीभगत से दिल्ली के रेडजोन से आए पांच लोगों ने जिला आयुर्वेदिक अस्पताल में बिना अनुमति के डेरा डाल दिया। अस्पताल में आए लोगों की जब मीडिया को भनक लगी तो आनन-फानन में सभी लोगों को वहां से देर शाम कहीं अन्य स्थान पर भेज दिया गया। सार्वजनिक अस्पताल में इन्हें ठहराया जाना आयुर्वेदिक अस्पताल के कर्ता-धर्ता की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह उठाता है। ऐसे आपातकाल में जहां सैंकड़ों मरीज की ओपीडी चल रही हो ऐसे में बाहरी राज्यों से आए लोगों को ठहराया जाना आयुर्वेदिकअस्पताल की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है।
जांच का विषय यह है कि कोरोना महामारी के समय बाहरी राज्यों से लोगों द्वारा हिमाचल में शरण लेने के लिए गडबढझाला किया जा रहा है। जिसके कारण जिला में कोरोना मरीजों का आंकड़ा 109 तक पहुंच गया है। मीडिया की उपस्थिति में जब पुलिस ने मौका का दौरा किया तो इस पूरे प्रकरण बारे जानकारी मिल पाई। पुलिस ने माना कि आए लोग संदेह के घेरे में हैं जिसकी जांच की जानी है।
इस संर्दभ में जब जिला आयुर्वेद अधिकारी राजेन्द्र शर्मा से बात की गई तो वे टालमटोल करते दिखाई दिए, लेकिन बाद में उन्होंने माना की चूक हुई है। यही नहीं डॉ. राजेन्द्र अपना पल्ला झाड़ते हुए पूरी जिम्मेदारी दूसरों पर डालते नजर आए। उन्होंने कहा कि बाहर से आए लोगों को अस्पताल में रखना उचित नहीं है। इसी कारण उन्हें यहां से समुचित स्थान पर स्थानांतरित किया गया है। पार्किंग व्यवस्था में लगे व्यक्ति ने बताया कि दो टैक्सियों में पांच लोग आए थे व वे अस्पताल में रखे गए है।
उपरोक्त प्रकरण को प्रशासन के संज्ञान में लाया गया व प्रशासन ने इस पर कार्रवाई करने की बात कही है। मगर ‘सैंया भये कोतवाल तो डर काहे का’ रसूखदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई हो पायेगी यह भी यक्ष प्रश्न बना हुआ है। वहीं इस पूरे प्रकरण की जांच की आवश्यकता है ताकि आम लोगों को कोरोना जैसी महामारी से बचाया जा सके।