पांवटा साहिब /विपुल जैन : हालांकि गजराज पड़ोसी राज्य उत्तराखंड से हिमाचल में साल के जंगलों का रुख लंबे अरसे से कर रहे हैं। सीमांत क्षेत्रों में किसानों की फसलों को तबाह करते रहते हैं। लेकिन बीती रात उस समय हद हो गई, जब गजराज बद्रीपुर के भूपपुर इलाके तक पहुंच गए। मुख्य हाईवे पर ही कदमताल कर रहे थे। वाहन चालकों व राहगीरों के सामने कोई विकल्प नहीं आया तो बाइक व वाहनों की आवाज से जंगली हाथी को भगाने की कोशिश की गई। तेज रोशनी का भी इस्तेमाल किया गया।
बता दें कि एक मर्तबा पहले वाई-प्वाइंट के समीप भी हाथी ने गऊशाला को क्षतिग्रस्त किया था। दरअसल, यमुना नदी में जलस्तर कम होने के बाद ही गजराज हिमाचल की सीमा में दाखिल होते हैं। सिंबलवाड़ा नेशनल पार्क के अलावा हरियाणा की कलेसर सेंचुरी में भी अपने स्थाई ठिकाने बना चुके हैं। बहरहाल प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि बाइक व वाहनों की आवाज के शोर की मदद ली गई। साथ ही रोशनी भी की गई, ताकि हाथी अपने ठिकाने की ओर लौट जाए।
विशेषज्ञ बताते हैं कि हाथी रात को ही दूरी तय करता है। सूरज की किरण फूटते ही अनजान जगह पर आगे कदम नहीं बढ़ाता है।
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