नाहन: तकरीबन 27 साल की उम्र में ट्रांसगिरि के नघेता से एक युवक “टीचर” की नौकरी की तलाश में नाहन पहुंचता है। इसके बाद किस्मत कुछ ऐसी करवट लेती है कि उसे शिशु विद्या निकेतन स्कूल का दारोमदार मिल जाता है। 4 से 5 साल स्कूल की स्थिति को बेहतरीन बनाने का रात-दिन प्रयास जारी रहता है। यहां आपको यह भी स्पष्ट कर दें कि अगर एसवीएन स्कूल के प्रिंसीपल कुंदन ठाकुर को यह बता दिया जाता कि उनकी सफलता पर यह खबर की जानी है तो निश्चित तौर पर वो न तैयार होते। बावजूद इसके शिक्षा जगत में अलख जगा रहे कुंदन ठाकुर से जुड़ी जानकारियां एकत्रित की गई।
इस दौरान सबसे चौंकाने वाली बात यह सामने आई कि वो शिक्षा के व्यवसायीकरण से कोसों दूर हैं। उदाहरण के तौर पर देखें तो निजी स्कूल के अगर किसी विद्यार्थी ने मैरिट सूची हासिल की है तो इसका बखान जमकर किया जाता है, ताकि दाखिलों में इजाफा हो। साधारण शब्दों में समझे तो मार्केटिंग होती है।
लेकिन वो ऐसा कतई नहीं करते। दसवीं कक्षा में शगुन चौहान व नवीन सरस्वती ने मैरिट हासिल की। हाल ही में जमा दो के नतीजे में नाहन के ही दो सरकारी स्कूलों के छात्रों ने भी मैरिट में स्थान हासिल किया। सुशांत चौहान ने आर्टस संकाय में दूसरा स्थान हासिल किया, जबकि रीतिका सरस्वती को आठवां स्थान हासिल हुआ। लेकिन इस बात की चर्चा नहीं हो रही कि जमा दो में मैरिट हासिल करने वाले इन छात्रों की नींव कुंदन ठाकुर के सानिध्य में हुई है। इन छात्रों ने दसवीं के बाद आगे सरकारी स्कूलों को चुना, क्योंकि एसवीएन में आर्टस संकाय नहीं है।
स्कूल की ही एक छात्रा ने साईंस संकाय में 95 फीसदी अंक हासिल किए।आप यह भी जानकर हैरान होंगे कि ये एकमात्र ऐसा निजी स्कूल है, जहां जेआईईईई व अन्य प्रतियोगितात्मक परीक्षाओं की कोचिंग निशुल्क दी जाती है, जबकि इसके विपरीत अन्य संस्थानों द्वारा अच्छी-खासी फीस वसूली जाती है। एक अन्य जानकारी के मुताबिक स्कूल के छात्रों ने देश की कई अन्य नामी परीक्षाओं में डंका बजाया है, इसका क्रेडिट भी कभी नहीं लिया।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने जब एसवीएन स्कूल के प्रधानाचार्य कुंदन ठाकुर के बारे में ओर पता करने की कोशिश की तो खुलासा हुआ कि सबसे पहले स्मार्ट क्लासिज को शुरू कर दिया था। इसके अलावा लाॅकडाउन में भी ऑनलाइन शिक्षा देने में अग्रणी रहे। यही नहीं, खुद बगैर किसी आर्थिक लाभ की सोचे सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक छात्रों के लिए उपलब्ध रहते हैं। स्कूल में करीब 700 छात्रों में से दर्जनों ऐसे हैं, जो आर्थिक रूप से कमजोर परिवार से ताल्लुक रखते हैं, उन्हें फीस में रियायत देने को हर समय तैयार रहते हैं।
कुल मिलाकर शिक्षक कुंदन ठाकुर को करीब से जानने वाले इन सब बातों से वाकिफ भी होंगे, लेकिन हरेक व्यक्ति को ऐसी शख्सियत के बारे में पता होना चाहिए। जानकार बताते हैं कि उनका सपना है कि सिरमौर के बच्चे देश व दुनिया में अपना डंका बजाएं। अगर कुछ को आईएएस व आईपीएस अधिकारी बनाने में सफल होते हैं तो इससे बड़ी जीवन की कमाई कुछ ओर नहीं हो सकती।