संगड़ाह : 108 की बदौलत एक महिला की 8 बेटियों को भाई मिल गया। ईएमटी विनोद व पायलट संजीव की कोशिश पर जब हरिपुरधार-नौहराधार मार्ग पर महिला ने एंबूलेंस में ही बेटे को जन्म दिया तो माता-पिता के चेहरे पर एक ऐसी खुशी थी, जिसकी कल्पना शायद ही कोई कर पाए।
आपके जहन में लाजमी तौर पर यह सवाल उठ रहा होगा कि आखिर पिता 9 संतानों का लालन-पोषण कैसे कर पाएगा तो आपको बता दें कि एक बेटी बीएससी नर्सिंग कर रही है तो दूसरी भी शिमला में ही ग्रैजुएशन कर रही है। 4 बेटियां स्कूल में पढ़ाई कर रही है तो एक 2 साल की है। बेहद ही भोलेपन में 9वीं मर्तबा पिता बने शख्स ने साफ तौर पर कहा कि चाहे जो भी होगा, हरेक बच्चे की शिक्षा में कोई कमी नहीं आने देंगे। खुद 45 वर्ष के हो चुके हैं तो पत्नी 38 साल की है। जब सवाल पूछा गया कि क्या आप को कोई परिवार नियोजन के बारे में जागरूक करता है तो जवाब हां में दिया। लेकिन बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान की सफलता पर तो संशय पैदा होता है।
दीगर है कि इस मामले में परिवार की पहचान को सार्वजनिक न करने का फैसला जरूर लिया गया है। अलबत्ता जानकारी के मुताबिक महिला को नौहराधार सीएचसी ले जाया जा रहा था। रास्ते में चौरास के समीप प्रसव हुआ। ब्लीडिंग अधिक होने की वजह से महिला को राजगढ़ रैफर कर दिया गया। इस खबर का एक बड़ा पहलू यह है कि जहां रिमोट इलाकों में बाल विवाह को लेकर जागरूकता की कमी बड़े स्तर पर खल रही है, वहीं इस तरह के मामले भी चिंतनीय हो सकते हैं। बेटे के पिता बने शख्स का यह भी कहना था कि बेशक ही वो ज्यादा नहीं पढ़े हैं, लेकिन उनके क्षेत्र में अच्छे-अच्छे शिक्षित लोगों के घर में 8 से 10 बच्चे भी हैं।
उल्लेखनीय है कि बुधवार को भी कुपवी क्षेत्र की रहने वाली 19 वर्षीय महिला नीरू के लिए भी 108 वरदान बनी थी। बेटी को जन्म देने वाली नीरू के प्रसव का खतरा इस कारण था, क्योंकि शिशु के गले में नाल लिपटी हुई थी।