शिमला : हालांकि अब तक भी कोई वैज्ञानिक तस्दीक नहीं हुई है कि हाईऑक्सीक्लोरोक्विन का इस्तेमाल कोरोना के खिलाफ हो सकता है। लेकिन यूएसए द्वारा भारत से हाईड्रोऑक्सीक्लोरोक्विन (Hydroxychloroquine)टेबलेट की सप्लाई मांग लेने के बाद दुनिया की नजरें इस दवा पर टिक गई। दवा दुनिया भर में इस कारण चर्चा में आ गई, क्योंकि यूएसए के राष्ट्रपति ने देश के प्रधानमंत्री से दवा के आयात से प्रतिबंध हटाने का आग्रह किया, जिसे भारत ने तुरंत स्वीकार भी किया।
विशेषज्ञों के मुताबिक भारत में इस दवा का इस्तेमाल मलेरिया के लिए होता है। एमबीएम न्यूज नेटवर्क प्रदेश में हाईड्रोऑक्सीक्लोरोक्विन के उत्पादन को लेकर जानकारी जुटा रहा था। इत्तफाक से प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने राज्य के फार्मा उद्योग को हाईड्रोऑक्सीक्लोक्विन के साथ-साथ जीवनरक्षक दवाओं का सुचारू उत्पादन करने का आग्रह वीरवार को किया है। साथ ही हर मदद मुहैया करवाने की बात भी कही है। मीडिया रिपोर्टस की मानें तो दुनियाभर में इस दवा की डिमांड बढ़ गई है। जहां तक उत्पादन का सवाल है तो भारत ही विश्वभर में इसका सबसे बड़ा उत्पादक है।
हिमाचल में भी हाईड्रोऑक्सीक्लोरोक्विन के उत्पादन की काफी संभावनाएं हैं। करीब 30 लाईसेंस जारी हैं। यह अलग बात है कि फार्मा उद्योगों द्वारा इस दवा का उत्पादन अभी शुरू नहीं किया गया है। अब सरकार के खुलकर सामने आने पर फार्मा जगत भी तैयार है, बशर्ते कि कच्चा माल उपलब्ध हो जाए। हालांकि ड्रग महकमा इस बात को सिरे से नकार रहा है कि हाईड्रोऑक्सीक्लोरोक्विन के उत्पादन के लिए कच्चे माल की कमी है। लेकिन जानकार बताते हैं कि पहले कच्चे माल की कीमत 1200 से 1500 रुपए प्रति किलो थी। करीब 20 किलो में एक लाख टेबलेट का उत्पादन संभव था। मार्किट में 30 से 40 पैसे की लागत में पहुंचाया जा सकता था। लेकिन कच्चे माल की कीमतों में उछाल व ऑर्डर न मिलने की वजह से मध्यम वर्ग के फार्मा उद्योगों ने उत्पादन की कोई योजना नहीं बनाई।
यह भी पुख्ता जानकारी है कि हिमाचल में इस दवा का इस्तेमाल उन लोगों के लिए किया जा रहा है, जो परोक्ष व अपरोक्ष तौर पर संदिग्धों के संपर्क में आ रहे हैं, लेकिन इसकी कुछ हिदायतें भी हैं।
अहम बात यह भी है कि विश्व स्तरीय गुणवत्ता की दवा बनाने वाली कैडिला व सिपला के प्लांट भी औद्योगिक क्षेत्र बद्दी में हैं। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी आज कहा कि हाईड्रोऑक्सीक्लोरोक्विन की डिमांड दुनिया भर में है। कालाअंब स्थित सिम्बॉसिस फार्मास्युटिकल्स के एमडी जंगवीर का कहना है कि एक दिन में ही लाखों टेबलेट के उत्पादन की क्षमता है, बशर्ते कच्चा माल उपलब्ध हो। वहीं ड्रग कंट्रोलर नवनीत मारवाह ने बातचीत के दौरान कहा कि अब तक किसी भी फार्मा उद्योग ने कच्चे माल की कमी को लेकर शिकायत नहीं की है। उनका कहना था कि प्रदेश में मौजूद फार्मा उद्योग न केवल हिमाचल, बल्कि दुनिया भर की डिमांड को पूरा करने में सक्षम हैं।