नाहन : टौंस नदी के उस पार उत्तराखंड में बैठे शातिरों की नजरें देवभूमि के रोनहाट क्षेत्र के पहाड़ों में छिपे बेशकीमती खनिज गैलेना पर हैं। इसके लिए वो खतरनाक रास्तों का इस्तेमाल करते हैं। साथ ही जान का जोखिम भी लेने से नहीं चूकते। लेकिन इस बार खनन विभाग उन पर भारी पड़ा है। गैलेना से भरे गए 42 कट्टों के अलावा एक बाइक को भी बरामद कर लिया गया है।
आप यह जानकर भी हैरान होंगे कि गैलेना से भरे कट्टों को सीमा पार ले जाने के लिए टौंस नदी पर एक अस्थाई झूले का निर्माण भी करने की तैयारी थी। फिलहाल खनन विभाग ने गैलेना के सैंपल प्रयोगशाला में जांच के लिए भेज दिए हैं, ताकि यह पता लगाया जा सके कि इसमें पाए जाने वाले तत्वों की प्रतिशतता क्या है। हिमाचल व उत्तराखंड की सीमा पर टौंस नदी के किनारे सियासू नामक जगह पर बेशकीमती खनिज गैलेना को चोरी करने का जाल बिछाया गया था। खनन माफिया इसे उत्तराखंड पहुंचाना चाहता था।
जानकारी के मुताबिक हालांकि गैलेना की खुदाई मैन्युअल तरीके से की जाती है, लेकिन खनन माफिया के हौंसले इतने बुलंद थे कि सीमापार से हाईटैक मशीन लाकर इसे खोदा जा रहा था। इसी मशीन के जरिए खनिज को नदी के पार किया जाना था। दीगर है कि टौंस नदी भी भयावक है। इसे शापित नदी भी कहा जाता है। बताते हैं कि चंद वर्ष पहले खनन विभाग ने एक कंपनी को इस इलाके में गैलेना की खोज के लिए प्रोस्पेक्टिव लाईसेंस दिया था, लेकिन उसे भी खत्म हुए समय हो चुका है।
बहरहाल बताया यह भी जा रहा है कि गैलेना का इस्तेमाल युद्ध सामग्री में भी होता है। खास तौर पर इसकी डिमांड गोला व बारुद बनाने में रहती है। साथ ही इसमें चांदी की मात्रा भी संभावित रहती है।
जानकारी यह भी मिली है कि शनिवार को विभाग ने दो टीमें गठित कर उत्तराखंड में भी प्रवेश कर लिया था। मौके पर मशीन भी पाई गई, लेकिन स्थानीय लोगों ने टीम का जमकर विरोध किया। इस कारण अपनी सुरक्षा के चलते खनन व पुलिस विभाग की टीम को लौटना पड़ा। उधर जिला खनन अधिकारी सरित चंद्र ने बताया कि मौके पर पहुंचने से पहले ही तस्कर फरार हो चुके थे। 42 कट्टे बरामद हुए हैं। उन्होंने माना कि इन कट्टों को झूला बनाकर उस पार पहुंचाया जाना था। जिला खनन अधिकारी ने यह भी स्वीकार किया कि खतरनाक रास्तों में जान-जोखिम में डालकर खुदाई की जा रही थी।