नाहन : अक्सर पर्यावरण से जुड़े संवेदनशील मामले सामने आते हैं। चंद रोज चर्चा के अलावा सुर्खियां भी बनती रहती है, लेकिन धीरे-धीरे समय के साथ इसे भुला दिया जाता है। लेकिन शहर का एक शख्स सुधीर रमौल उस घटना के लिए आज भी न्याय हासिल करने की कोशिश में लगा हुआ है, जिसमें 25 नवंबर 2019 को ऐतिहासिक चौहान मैदान में सरेआम एक पेड़ को धराशायी कर दिया गया था।
दरअसल रमौल की शिकायत पर अतिरिक्त उपायुक्त द्वारा 3 फरवरी 2020 को मामले को लेकर कार्यकारी अधिकारी से दो दिन के भीतर रिपोर्ट तलब की गई थी। अब कार्यकारी अधिकारी की मानें तो रिपोर्ट भेज दी गई थी। इसमें प्रशासन को अवगत करवाया गया था कि पेड़ की टहनियों को काटने की अनुमति जारी हुई थी, लेकिन जब टहनियों को काटा जा रहा था तो उस समय पेड़ कड़-कड़ की आवाज करते हुए गिर गया। अब इसके बाद नगर परिषद ने मामले को खत्म कर दिया है, लेकिन पर्यावरण सोसायटी के सदस्य सुधीर रमौल का कहना है कि वह इस मामले में न्याय हासिल करके ही रहेंगे।
प्रश्न इस बात पर उठता है कि क्या वीडियो देखकर नगर परिषद ने यह जानने की कोशिश की या नहीं। पेड़ को जब गिराया जा रहा था तो उस समय आरा मशीन चलने की आवाज सुनी जा सकती थी। अगर पेड़ अचानक गिर रहा था तो उसमें मोटे-मोटे रस्से से बांधकर उसका संतुलन मैदान की तरफ क्यों बनाया जा रहा था। कई सवाल हैं, जो अब भी इस बात को लेकर संशय पैदा करते हैं कि शहर में सरेआम मनमर्जी चल रही है। पर्यावरण प्रेमी सुधीर रमौल का यह भी कहना है कि मामले को रफा-दफा किया जा रहा है, लेकिन वह हार नहीं मानेंगे।
उधर नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी जसमेर ठाकुर का यह भी कहना था कि चौगान मैदान में बेहतरीन क्वालिटी के 10 पेड़ रोपे जाएंगे। कुल मिलाकर सवाल इस बात पर टिका है कि सरेआम पेड़ को आरे से काटने की अनुमति किसने दी और इसे किसकी शह पर अंजाम दिया गया। उल्लेखनीय है कि पेड़ की टहनियां काटने को लेकर मामला मार्च 2019 में शुरू हुआ था, जब गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा टहनियों को काटने की अनुमति मांगी गई थी। जुलाई 2019 में पेड़ को कोकाट घोषित किया गया। इसे खोखला तो बताया गया, लेकिन केवल टहनियां काटने की ही अनुमति जारी हुई।
विशेषज्ञों की मानें तो बेहद ही सोची समझी रणनीति के तहत पेड़ को धराशायी करने की कोशिश की गई। लेकिन पर्यावरण प्रेमी सुधीर रमौल भी अब इस मामले में न्याय हासिल करने की जीत पर अड़ गए हैं। दीगर है कि एमबीएम न्यूज़ नेटवर्क को पहली प्रतिक्रिया में भी परिषद के कार्यकारी अधिकारी अनुमति न होने की बात कहते हुए सख्त कार्रवाई की बात कही थी।