शिमला: जयराम सरकार के मंत्रिमंडल में 3 पद रिक्त हो गए हैं। राजनीतिक हलकों में कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्री के पद से विपिन परमार को हटाकर विधानसभा अध्यक्ष का पद दिए जाने का निर्णय अप्रत्याशित था। इसके मद्देनजर यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि मंत्रिमंडल में तीन चेहरे भी अप्रत्याशित हो सकते हैं। हालांकि मंत्रिमंडल की दौड़ में आधा दर्जन से अधिक नेताओं के शामिल होने की चर्चा चल रही है। राजनीति की विसात में कब क्या बदल जाए, इसकी कोई गारंटी नहीं होती। भाजपा संगठन में धूमल समर्थकों की अनदेखी की खबरें प्रकाशित हुई हैं।
अब सवाल यह भी है कि 3 में से एक पद क्या धूमल कोटे को मिलेगा या नहीं। इतना तो तय है कि कांगड़ा की दावेदारी पुख्ता है। इसकी वजह यह भी है कि इसी जिला से मंत्रिमंडल के दो पद खाली हुए हैं। अहम बात यह है कि जयराम सरकार अपने मंत्रिमंडल के विस्तार का साहस नहीं जुटा पा रही।
मंत्रिमंडल विस्तार को टालने को लेकर कोई न कोई बहाना बनाया जाता रहा है। ताजा घटनाक्रम दिल्ली चुनाव से जुड़ा था। सीएम का बयान आया कि चुनाव के बाद मंत्रिमंडल के पद भर लिए जाएंगे। फिर कहा गया कि बजट सत्र से पहले पदों को भरा जाएगा। अब स्थिति यह है कि दो की जगह 3 पद रिक्त हो गए हैं। जयराम पर अफसरशाही की ढीली पकड़ को लेकर भी विपक्ष आरोप लगाता रहा है। अब सवाल यह भी उठाया जाने लगा है कि फैसला लेने में जयराम सक्षम नहीं है। यही कारण है कि विस्तार को टाला जा रहा है। इस साल के अंत में जयराम सरकार को एक और अग्निपरीक्षा से गुजरना होगा। प्रदेश में पंचायती राज के अलावा स्थानीय निकायों के चुनाव प्रस्तावित हैं।
चर्चा के मुताबिक इस बार शहरी निकायों में अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के सीधे चुनाव करने को लेकर भी जयराम सरकार विचार-विमर्श कर रही है। यहां तक भी कहा जा रहा है कि पार्टी सिंबल पर भी शहरी निकायों के चुनाव करवाए जा सकते हैं। कुल मिलाकर यह काफी हद तक संभव नजर आ रहा है कि मंत्रिमंडल के विस्तार में भी जयराम सरकार कुछ अप्रत्याशित करने की फिराक में है। बात अलग है कि विधानसभा अध्यक्ष के पद से डॉक्टर राजीव बिंदल के इस्तीफे के बाद सहजता से पार्टी प्रदेश अध्यक्ष की कमान को संभाल लेना भी अप्रत्याशित ही था। क्योंकि बिंदल को मंत्रिमंडल की दौड़ में सबसे आगे देखा जा रहा था।
अब देखना यह है की अभी तक सिरमौर, हमीरपुर व् बिलासपुर को मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। जयराम के लिए यह भी एक चुनौती है। सिरमौर से सुखराम चौधरी प्रबल दावेदार हैं। क्योंकि उनका तालुक ओबीसी बिरादरी से है। साथ ही उन्होंने लोकसभा के चुनाव मे सबसे अधिक लीड दी थी। अब देखना दिलचस्प होगा की ऊंट किस करवट बैठता है।
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