बिलासपुर: गोविंद सागर झील का जलस्तर घटने से झील के पार रहने वाली 8 पंचायतों के लोगों को अब खासी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। जी हां झील के घटते जलस्तर के चलते जहां मोटरवोट अब क्रोसिंग तक की लोगों को छोड़ पाने में सक्षम है तो वहीँ ग्रामीणों को बिलासपुर तक आने-जाने में लगभग 10 किमी का सफ़र पैदल ही तय करना पड रहा है। वहीँ स्थानीय ग्रामीणों ने प्रदेश सरकार से कृत्रिम झील बनाने या फिर बेरी दडोला पुल का निर्माण करने की अपील की है।
22 अक्टूबर 1963 को देश की सबसे बड़ी बहुउद्देशीय परियोजना भाखड़ा बांध निर्माण ने जहां देश को बिजली उपलब्ध करवाने में अहम भूमिका अदा की है तो वहीं भाखड़ा बांध निर्माण के चलते पुराना बिलासपुर झील की जद में आने से डूब गया था। जिसके बाद नए शहर का पुनः बसाया गया गया। वहीं बिलासपुर की खूबसूरती को चार चांद लगाने वाला गोविन्द सागर झील दूर-दराज के ग्रामीण इलाकों के लोगों को शहर तक पहुंचाने का एक जरिया भी है। जिसके माध्यम से ऋषिकेश, बडोल, थवाण और बेनाघट सहित 8 पंचायतों के ग्रामीण व स्कूली छात्र मोटरवोट के जरिये बिलासपुर पहुंचते है। वहीं झील का जलस्तर हर साल फरवरी से जुलाई माह तेजी से घटता हुआ चारों तरफ फैले खाली मैदान के रूप में दिखाई पड़ता जिसका सीधा असर झील पार रहने वाले सैंकड़ों लोगों पर पड़ता है।
गोविंद सागर झील का जलस्तर अब काफी तेजी से घटने लगा है, जिसका उदाहरण झील के किनारे दलदली मिट्टी है जहां से होकर ग्रमीणों को बिलासपुर तक आना-जाना पड़ता है। गौरतलब है कि झील का जलस्तर घटने की वजह से अब ग्रामीण व स्कूली छात्र महज कुछ ही दूरी तक झील पर मोटरवोट से सफ़र तय कर पाते है जिसके बाद उन्हें बिलासपुर तक आने-जाने के लिए लगभग 10 किमी से अधिक सफ़र पैदल ही तय करना पड़ रहा है। वहीं स्थानीय ग्रामीणों ने प्रदेश सरकार से समस्या को दूर करने की मांग करते हुए बैरी दडोला पुल का निर्माण करने या फिर कृत्रिम झील बनाकर 12 महीने झील का जलस्तर एकसमान करने की अपील की, जिससे ग्रामीणों को बिलासपुर तक पहुंचने में आसानी होगी और पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।
23 मार्च 2007 को पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह द्वारा अपने कार्यकाल में बैरी दडोला पुल की आधारशिला रखी थी। बावजूद इसके कई सरकारें बदली मगर पुल निर्माण की तरफ किसी का भी ध्यान नहीं गया। कृत्रिम झील निर्माण की बात करें तो यह दावे भी मात्र कागजी ही साबित हुए है। ऐसे में अगले महीने यानी मार्च में बोर्ड की परीक्षाएं है और गोविन्द सागर झील के उस पार ग्रामीण इलाकों में रहने वाले स्कूली छात्रों को शहर के प्रतिष्ठित स्कूलों तक पहुंचने में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। अब देखना यह होगा की प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर इस समस्या के निदान के लिए आखिर कब तक उचित कदम उठाते है या फिर झील पार रहने वाले लोगों को आने वाले समय में भी इसी तरह की समस्याओ से जूझना पड़ेगा। यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा..?
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