नाहन : मौजूदा समय में ऐसी तकनीक उपलब्ध है, जिसके बूते रातों रात ही बहुमंजिला इमारतें खड़ी कर दी जाती हैं। इसके विपरीत शहर में आईपीएच महकमा धीमी गति से कार्य कर शहरवासियों की दुश्वारियों को बदस्तूर कायम रखे है। वहीं, अपने शांत स्वभाव के लिए पहचान रखने वाले शहरवासी भी इस उम्मीद में सब्र को बांधे हैं कि गर्मियों में पानी की नदियां बह जाएंगी। हालांकि विरोध सड़कों पर नहीं है, लेकिन व्यंग्यात्मक लेखन के जरिए तंज कसे जा रहे हैं। व्हाटसएप पर एक कविता वायरल हो रही है, जिसका शीर्षक है “किसी ने पूछा, खुदा कहां है…”।
सवाल इस बात पर पैदा होता है कि शहर को महकमा इतने हलके ढंग से क्यों ले रहा है। क्या इसकी वजह यही है कि लोग शांत स्वभाव के हैं। पहले तर्क दिया जा रहा था कि फरवरी माह के पहले या दूसरे सप्ताह में सड़कों को खोद कर बिछाई गई पाइपों की टैस्टिंग कर ली जाएगी, लेकिन अब तो फरवरी महीना भी पूरा होने को है। दीगर है कि जब तक सड़कों के नीचे दबाई गई पाइपों की टैस्टिंग नहीं हो जाती, तब तक शहर को धूल फांकनी ही पडे़गी।
उधर, हैरान कर देने वाली बात यह थी कि जब आईपीएच विभाग के एक्सईएन मनदीप से संपर्क किया गया तो उन्होंने बेहद ही हलके तरीके से अपना पक्ष रखा। सवालों के जवाब को टालते रहे। जब यह पूछा गया कि टैस्टिंग कब होगी तो यह कहकर इतिश्री कर ली गई कि टैस्टिंग चल रही है। यह बात समझ से परे थी कि जब पाइपों को बिछाने का कार्य पूरा नहीं है तो टैस्टिंग कैसे चल रही है। सड़कों की मरम्मत को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में एक्सईएन साहब का कहना था कि संबंधित विभाग को बजट दे दिया गया है। कितना बजट दिया गया है, इस सवाल पर साहब ने अनभिज्ञता जाहिर कर दी।
उन्हें यह तक भी नहीं पता था कि शहर में सड़कों को खोदकर बिछाई जा रही पाइपों पर कितना बजट खर्च हो रहा है। घटिया वैल्डिंग रॉड के इस्तेमाल पर एक्सईएन ने कहा कि जरूरी हिदायतें दी गई हैं। कुल मिलाकर शहरवासी यह भी नहीं समझ पा रहे हैं कि सड़कों की खुदाई से परेषानी तो झेल रहे हैं, ऐसे हालात में क्या गारंटी है कि माकूल पेयजल भी उपलब्ध हो जाएगा।
किसी ने पूछा, खुदा कहाँ है
मैंने कहा
मेरे Nahan में आजा
यहाँ हर रास्ता खुदा है
हर तरफ, हर मोड़ खुदा है
कई महीनों से चौक का रास्ता खुदा है
ज्यादातर गलियाँ भी कहाँ इनसे जुदा हैं
जहाँ नहीं खुदा
वहाँ जल्दी ही खुद जाएगा
एक चक्कर लगा शहर का
हर तरफ खुदा पायेगा…