हमीरपुर: बेसन हो तो पंडित की दुकान जैसा। हाथों की करामात इतनी निराली की बेसन बर्फी को भी फेल कर दे। हमीरपुर मुख्यालय के साथ लगते अणु में चल रही पंडितां दी हट्टी के बेसन के दीवाने हिमाचलियों के साथ-साथ बाहरी राज्यों के लोग भी हैं। जब भी बाहरी राज्यों के लोग यहां आते हैं तो इस बेसन की खुशबू उन्हें पंडितां दी हट्टी तक खींच लाती है। यही नहीं हिमाचल के जो लोग बाहरी देशों में बसे हैं वह भी पांच या छह साल बाद यहां पहुंचकर इस बेसन को खरीदते हैं। इस बेसन में कोई भी फालतू चीज नहीं डाली जाती। इसके स्वाद में बस हलवाई के हाथों की कारीगरी का ही कमाल है।
दुकान में प्रतिदिन दो क्विंटल बेसन की खरीददारी होती है। दुकान में दो कुशल कारीगर काम कर रहे हैं, जबकि तीन हेल्पर के तौर पर रखे गए हैं। पूरा दिन कढ़ाई में बेसन बनाने का काम जारी रहता है। बेसन बिकता भी रहता है। सुबह, दोपहर जाओ या शाम जब भी जाओ,यहां पर बेसन के लिए कतार में लगना ही पड़ता है। कई लोग तो यह सुनकर वापस लौट जाते हैं कि बेसन खत्म हो गया, अब नहीं मिलेगा। हमीरपुर के बलेटा गांव से संबंध रखने वाले जगन्नाथ शर्मा ने बेसन की दुकान करीब 15 वर्ष पूर्व यहां शुरू की, जिसने बेसन एक बार खाया उसने इसके लजीजपन को एक-दूसरे तक पहुंचाया और आज इस बेसन की पहचान विदेश तक हो चुकी है।
बेसन बनाने में जो चने का आटा इस्तेमाल होता है, वह खुद चने खरीदकर विश्वासपात्र आटा चक्की में पिसाया जाता है। इस शुद्ध बेसन को हर मिठाई में इस्तेमाल किया जाता है। मीठा बेसन बनाने में रिफाइंड, शुद्ध बेसन, चीनी तथा पानी का इस्तेमाल होता है। बस कारीगरी यह है कि कितनी देर रिफाइंड गर्म करना है, कितनी देर उस बेसन को फ्राई करना है और कब चीनी या पानी इसमें डालना है। इस कारीगरी से लोग इतने संतुष्ट हैं कि दुकान पर रुककर कुछ पल लाइन में खड़ा होकर बेसन खरीदना बुरा नहीं समझते। पूरे हिमाचल के साथ-साथ दिल्ली, पंजाब व अन्य स्थानों से संबंध रखने वाले लोग तो यहां आकर बेसन लेते हैं, लेकिन जो लोग अमरीका, इंग्लैंड, स्विट्जरलैंड में रहते हैं , वह कभी अगर अपने नाते-रिश्तेदार से मिलने हिमाचल आएं, तो पंडित का बेसन जरूर खरीदकर ले जाते हैं।
दुकान में अन्य मिठाईयों की भी काफी मांग है। हर चीज शुद्ध इस्तेमाल करने से इस दुकान के भीतर बनाए गए पकौड़े, सेवियां, गुलाब- जामुन, बूंदी तथा दूध व दहीं भी लोग इसी दुकान से खरीदते हैं। हर किसी को लजीजपन उपलब्ध करवाने वाले पंडित जगन्नाथ शर्मा आजकल कुछ अस्वथ चल रहे हैं, उनके दुकान में नहीं होने पर लोग पंडित का कुशलक्षेम कारीगरों से पूछते हैं। कारीगरों ने ही इस लजीजपन को बदस्तूर चलाया हुआ है।
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