नाहन : एक जमाने में शहर को नगीना कहा जाता था। इसकी वजह थी कि यहां की खूबसूरती साथ ही बेहतरीन सफाई व्यवस्था। लेकिन अब शहर में नागरिकता भाव (Civic Sense) में गिरावट की वजह से ही पार्किंग, ट्रैफिक व बंदरों की समस्या बढ़ती जा रही है। हर बात को सरकार के पाले में डाल दिया जाता है। दरअसल गलियों में गंदगी के ढेर ही बंदरों को आक्रमक होने का न्यौता दे रहे हैं। दीगर है कि शिमला में भी वाइल्ड लाइफ ने एक सर्वेक्षण करवाया था।
इसमें पता चला था कि सुबह के वक्त बंदर कूड़ा दानों पर मंडराते हैं, क्योंकि उन्हें खाने की तलाश होती है। यही हालात 1621 में बसे नाहन शहर के भी हैं। अगर शहरवासी कूड़े का निष्पादन सही जगह पर करेंगे तो लाजमी तौर पर धीरे-धीरे बंदरों की टोली भी गलियों में नहीं बढ़ेगी। अब आप सोच रहे होंगे कि पार्किंग की व्यवस्था का नागरिकता भाव व नैतिक मूल्यों से क्या लेना देना है। शहर में नकारा वाहनों को सड़कों के किनारे खड़ा करने का चलन बढ़ता जा रहा है। इस कारण संकीर्ण सड़कों पर ट्रैफिक जाम की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है।
सवाल इस बात पर उठता है कि अगर वाहन धारक अपने वाहनों की पार्किंग की अपने स्तर पर उचित व्यवस्था करता है तो स्थिति सुधर सकती है। खासकर दो पहिया वाहन आड़े तिरछे खड़े कर पार्क कर दिए जाते हैं। इससे समस्या का समाधान नहीं निकल पाता। शहर में अब महज 3 तालाब बचे हैं। इसमें काली स्थान, पक्का तालाब व रानीताल है। अब भी लोगों को इन तालाबों में गंदगी फेंकते हुए देखा जा सकता है। सवाल इस बात पर उठता है कि पूजा सामग्री को घर में जलाकर निष्पादन क्यों नहीं किया जाता, क्योंकि इससे बेहतर कोई विकल्प नहीं हो सकता। एमबीएम पाठकों को इस बारे में संदेश मिलते आ रहे हैं कि नागरिकता भाव को लेकर भी जागरूकता होनी चाहिए।
एक अहम बात यह है कि शहर में जनगणना के आंकड़ों से डबल आबादी रह रही है। इसकी वजह ग्रामीण क्षेत्रों से तेजी से हो रही माइग्रेशन है। कुल मिलाकर शहर वासियों को यह बात तो समझनी पड़ेगी कि जब तक अपना योगदान नहीं देंगे तब तक स्थिति में सुधार नहीं आ सकता। दिलचस्प बात यह भी है कि लोग इस बात की गेंद भी सरकार के पाले में डाल देते हैं कि पार्किंग तो है नहीं तो कहां वाहनों को पार्क करें। अहम बात यह है कि शहर में जो पार्किंग स्थल विकसित किए गए हैं, वहां वाहन धारक अपने वाहनों को पार्क करने में इसलिए कतराते हैं, क्योंकि सुविधा मुफ्त नहीं मिलती है।
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