दिल्ली : देश की राजधानी में गणतंत्र दिवस परेड में इस बार हिमाचली झांकी भी नजर आई। कुल्लू दशहरा के थीम पर तैयार की गई झांकी ने जमकर प्रशंसा हासिल की व तालियां बटोरी। इस बार हिमाचल के समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर से जुडी पाठन सामग्री को भी तैयार किया गया था, ताकि झांकी के प्रदर्शन के दौरान इसे पंडाल में मौजूद दर्शकों को वितरित किया जा सके। झांकी को तैयार करने के लिए तकरीबन 30 कलाकारों की टोली ने कड़ी मेहनत की। झांकी के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरे की देव संस्कृति को प्रदर्शित किया गया।
झांकी में शामिल करने के लिए विशेष तौर पर देव सदन के म्यूजियम में रखे गए दो देवरथों को दिल्ली पहुंचाया गया था। झांकी में निशानदार छतरी, ढोल-नगाड़े, करनाल, नरसिघा आदि वाद्य-यंत्रों को भी शामिल किया गया था। कुल्लू दशहरे का इतिहास करीब 369 साल पुराना है।
तत्कालीन शासक जगत सिंह ने देवताओं को बुलाने की परंपरा को शुरू किया था, जो आज भी जारी है। बिना न्योते के देवता अपने मुख्य स्थान से कदम नहीं उठाते हैं। इतिहास के मुताबिक राजवंश व प्रशासन घाटी के करीब 300 देवी-देवताओं को दशहरे का न्योता देता है।