शिमला: हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी ने हाहाकार मचा रखा है। व्यापक बर्फबारी ने शिमला सहित अन्य पर्वतीय जिलों में परिवहन व्यवस्था के साथ-साथ पेयजल व विद्युत आपूर्ति भी ठप है। खास बात यह है कि बर्फ हटाने के लिए प्रदेश सरकार के पास अत्याधुनिक उपकरणों की भारी कमी है। बर्फ साफ करने के लिए लोकनिर्माण विभाग के पास एक भी स्नो कटर तक नहीं है। स्नो कटर के इस्तेमाल से वैज्ञानिक तरीके से बर्फ को हटाया जाता है और इसके प्रयोग से सड़कें खराब भी नहीं होती।
वर्तमान में बर्फ हटाने के लिए विभाग द्वारा जेसीबी, डोजर व टिप्परों का इस्तेमाल किया जा रहा है और इनमें भी आधी से ज्यादा मशीनरी हायर की गई है। जेसीबी सड़कों पर से बर्फ को तो आसानी से हटा देती है, लेकिन बर्फ की निचली परत साफ नहीं हो पाती। रात में पड़ने वाले कोहरे में यह परत शीशा बन जाती है और इस कारण सड़कों पर वाहनों का आवागमन नहीं हो पाता। इसके अलावा जेसीबी से सड़कों की टायरिंग को भी नुकसान पहुंचता है। जेसीबी में जो ब्लेड लगा होता है, उसके साथ छोटे-छोटे लोहे के तेज धार वाले कटर लगे होते हैं। ये सड़कों से बर्फ हटाने के दौरान टायरिंग को उखाड़ देते हैं।
राज्य के मुख्य सचिव अनिल खाची से जब स्नो कटर को लेकर पूछा गया, तो उनका कहना रहा कि स्नो कटर खरीदने के लिए प्रर्किया शुरू कर दी गई है और अगले विंटर सीजन तक यह मशीनें प्रशासन के पास पहुंच जाएंगी। राज्य में बर्फबारी की वजह से 600 से अधिक सड़कें अवरूद्व हैं तथा 335 जेसीबी की मदद से बर्फ को हटाया जा रहा है।
यह भी दीगर है कि शिमला में पिछले बुधवार को हुए एक फुट हिमपात ने जन जीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। शहर की सड़कों व पैदल रास्तों पर रोजाना बड़ी तादाद में पर्यटक व स्थानीय लोग गिर रहे हैं। अभी तक मिली जानकारी के अनुसार 100 से अधिक लोग बर्फ पर गिरकर चोटिल हुए हैं, जबकि उपनगर संजौली में 77 वर्षीय बुजुर्ग की मौत हुई।