शिमला : हिमाचल प्रदेश में 250 करोड़ रुपये के बहुचर्चित छात्रवृत्ति घोटाले में केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई ने शुक्रवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों में उच्च शिक्षा विभाग के तत्कालीन सुपरिटेंडेंट ग्रेड-2, निजी शिक्षण संस्थान का वाइस चेयरमेन और सेंट्रल बैंक का तत्कालीन हेड कैशियर शामिल है।
सीबीआई के प्रवक्ता ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि गिरफ्तार आरोपियों आरोपियों में सुपरिटेंडेंट ग्रेड-2, अरविंद राजटा, केसी ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट के वाइस चेयरमेन हितेश गांधी और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के हेडकैशियर एसपी सिंह शामिल हैं। इन तीनों को न्यायालय के समक्ष पेश कर रिमांड पर लिया जाएगा। सनद रहे कि छात्रवृत्ति घोटाले में सीबीआई की शिमला शाखा में भारतीय दंड संहिता की धारा 409, 419, 465, 466 और 471 में एफआईआर दर्ज है।
मामले के अनुसार 11वीं और 12वीं कक्षाओं के अनुसूचित जाति के स्टूडेंट्स को दी जाने वाली स्कॉलरशिप में करोड़ों की रकम का गबन किया गया है। सीबीआई जांच में निजी संस्थानों के कर्ताधर्ताओं, शिक्षा विभाग और राष्ट्रीयकृत बैंकों के अधिकारियों व कर्मचारियों की आपसी मिलीभगत सामने आई है। छात्रों की छात्रवृति हड़पने के लिए विभिन्न स्तरों पर अनियमितताएं बरती गई। छात्रों द्वारा आवेदन पत्रों में जिन बैंक खातों का उल्लेख किया था, उनके स्थान पर दूसरे बैंक खातों में छात्रवृति जमा की गई।
जांच में सामने आया है कि 2013-14 और 2016-17 के बीच अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लिए प्रायोजित योजनाओं के तहत करोड़ों के प्री-मैट्रिक और पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति के वितरण में गंभीर अनियमितताएं हुईं। साल 2018 में हिमाचल सरकार ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपी थी। सीबीआई ने पहले 21 निजी संस्थानों के स्थान पर खोज की थी, जिसका दायर बाद में बढ़ाया गया था।