सोलन : कहने को तो प्रदेश सरकार खेलों के लिए बड़े-बड़े दावे करती है। लेकिन जमीनी स्तर पर हकीकत कुछ और ही है। यह हम नहीं दृष्टि बाधित खिलाड़ियों की स्थिति बता रही है। इन दिनों हिमाचल प्रदेश के विभिन्न कोनो से दृष्टि बाधित खिलाडी राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए ठोड़ो मैदान में अभ्यास कर रहे हैं लेकिन इन खिलाड़ियों की सुध लेने वाला यहां पर कोई नहीं है।
हिमाचल सरकार भले ही खेलों को बढ़ावा देने के दावे करते नहीं थकती। लेकिन हकीकत यह है की हिमाचल के दिव्यांग खिलाडी मूलभूत सुविधाओं से भी महरूम है।
5 जनवरी 2020 से दिल्ली में दृष्टि बाधित खिलाड़ियों के लिए आयोजित होने वाली राष्ट्रीय कबड्डी प्रतियोगिता में हिमाचल का प्रतिनिधित्व करने वाले दृष्टि बाधित खिलाडी बिना सुविधाओं के ही सोलन में अभ्यास कर रहे हैं और अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं। सरकार की तरफ से न तो खेलने के लिए किट्स प्रदान की गई है और न ही कोई अन्य सुविधा प्रदान की गई है।
सुविधाओं के आभाव में कुछ खिलाडी नंगे पांव ही अभ्यास करते नजर आए। जिससे सरकर के खेलों को बढ़ावा देने के दावे हवा-हवाई होते नजर आ रहे हैं। गौरतलब है की सामान्य खिलाड़ियों को तो फिर भी कुछ न कुछ प्रोत्साहन के रूप में मिलता है। लेकिन दृष्टि बाधित खिलाड़ियों की तरफ सरकार की दृष्टि नहीं पड़ रही है जो की दुर्भाग्यपूर्ण है। यह दिव्यांग खिलाड़ियों के साथ भद्दा मजाक है। निश्चित तौर पर सरकार के दावे कुछ भी हों लेकिन प्रदेश का दृष्टिबाधित खिलाडी आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। वह अपने आप को ठगा महसूस कर रहा है। सरकार की दृष्टि इन दृष्टि बाधित खिलाड़ियों पर क्यों नहीं पड़ रही। यह सोचने वाली बात है। केंद्र सरकार की तरफ से दिया गया बजट का पैसा किधर जाता है यह जाँच का विषय है।