नाहन : हिमालयन संस्कृति विकास एवं शोध संस्थान शिमला ने सोमवार को नाहन में राज्य स्तरीय साहित्यिक सम्मेलन आयोजित किया। भाषा एवं संस्कृति विभाग के सौजन्य से आयोजित यह कार्यक्रम दो सत्रों में आयोजित हुआ। जिसमें राज्यभर से आए तीन दर्जन से अधिक कवियों ने उपस्थिति दर्ज की। कार्यक्रम में भाषा विभाग के सेवानिवृत्त उपनिदेशक एवं विद्वान साहित्यकार डॉ. तुलसी रमण ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की जबकि आचार्य ओम प्रकाश राही ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। इस दौरान संस्था के अध्यक्ष गोपाल दिलैक एवं जिला भाषा अधिकारी अनिल हारटा विशेष रूप से मौजूद रहे।
पहले सत्र में समकालीन कविता का परिदृश्य विषय पर डॉ. तुलसी रमण ने अपना लेख प्रस्तुत किया। जिसमें उन्होंने समकालीन कविता के महत्व पर विस्तृत प्रकाश ड़ाला।
उन्होंने समकालीन कवियों के कई उदाहरण भी प्रस्तुत किए। जिस पर डॉ. जयचंद शर्मा, मामराज शर्मा, अनंत आलोक, डॉ. ईश्वर राही ने सवाल-जवाब किए। मंच का संचालन गोपाल दिलैक व ओम प्रकाश भारद्वाज ने किया। दूसरे सत्र में राज्य स्तरीय कवि सम्मेलन आयोजित किया गया। जिसकी शुरुआत युवा धनवीर परमार, रेखा चौहान, अनुदीप भारद्वाज, सुरेंद्र धर्मा, सुरेंद्र सूर्या, नरेंद्र सिंह, नवीन कुमार ने कविता सुना कर की। पांवटा से आए डॉ. जयचंद शर्मा ने “चिलम की आग” कविता से खूब दाद बटोरीं।
युवा कवि पंकज तन्हा ने “जिम्मेदार” कविता से रंग जमाया। गोपाल दिलैक ने “चिडिय़ा होती हैं बेटियां, लेकिन पंख नहीं होते बेटियों के” से तालियां बटोरीं। शिवा धरावेश ने राजा हो या रंक, दीप राज विश्वास ने मैं कविता हूं, डॉ. ईश्वर रही ने संवेदनाओं का जंगल, चिर आनंद ने देश की जनता, दीप चंद कौशल ने नया साल आने वाला है, विजय रानी बंसल ने यह कैसे शहर में आ गए हैं कविता पेश की। जावेद उल्फत ने वो कवि नहीं सरकारी भोंपू है, कविता से दाद पाई।
शायर नासिर यूसुफजई ने बता किस काम आ सकता हूं तेरे, बता किस काम आना हुआ,कांगड़ा से आए शायर प्रताप जरयाल ने नफरतों का दौर थम आए यह वो तरकीब है, सोलन से आए कुलदीप गर्ग तरूण ने दास्तां दर्द की सुनाने में, जां निकलती है मुस्कुराने में, शेर से तालियां बटोरीं। भुवन जोशी ने साहस और जज्बात की अग्रि परीक्षा है, ददाहू से आए अनंत आलोक ने कटे फटे कपड़े बने, खानदान पहचान, प्रताप पराशर ने पूज्य पिता ने, सुनीता भारद्वाज ने आज मेरे पड़ोस के मैदान, कविता प्रस्तुत की।
इस दौरान डॉ. तुलसी रमण, गोपाल दिलैक, आचार्य ओम प्रकाश राही, शबनम शर्मा, माम राज शर्मा, राम कुमार सैनी, ओम प्रकाश भारद्वाज, साधना शर्मा, श्रीकांत अकेला, कांति सूद, सुमित्रा देवी, धर्म दत्त सहगल व रूचिका अत्री आदि दर्जनों कवियों ने कविता पाठ किया।