शिमला: राजधानी की एक अदालत ने रिश्वत लेने के दोषी अधिकारी को दो साल की सजा और 20 हजार रूपये के जुर्माना की सजा सुनाई है। जुर्माना न देने पर सजा की अवधि दो माह के लिए बढ़ जाएगी। दोषी अधिकारी मालदत्त विजिलेंस में इंस्पेक्टर था। बीते13 दिसंबर को अदालत ने उसे रिश्वत लेने का दोषी करार दिया था। दरअसल इंस्पेक्टर मालदत्त ने एक शिकायत को खत्म करने के लिए15 हजार रूपए की रिश्वत ली थी। पीडित ने इसकी शिकायत विजिलेंस में की थी।
साल 2011 में विजिलेंस ने आरोपी इंस्पेक्टर के खिलाफ मामला दर्ज किया था। उस समय इंस्पेक्टर मालदत्त विजिलेंस थाना नाहन में तैनात था। मामले के अनुसार राजगढ़ की एक महिला के खिलाफ विजिलेंस में एक गलत प्रमाण पत्र बनाने की एक शिकायत की गई थी। हालांकि प्रमाण पत्र बनाने में महिला की कोई गलती नहीं पाई गई। इसमें विभागीय स्तर पर गलती हुई थी। विजिलेंस की जांच में यह शिकायत सही नहीं पाई गई। इसके बावजूद इंस्पेक्टर मालदत्त ने पीडितों पर दवाब बनाकर शिकायत खत्म करने के लिए रिश्वत मांगी। इस पर पीडिता के पति विनोद कुमार ने इंस्पेक्टर के खिलाफ विजिलेंस में शिकायत दी।
विनोद कुमार ने इंस्पेक्टर से रिश्वत देने के लिए उसका बैंक खाता नंबर लिया, जिसमें रिश्वत के 15000 रुपए जमा करवाए गए। विनोद कुमार की शिकायत पर विजिलेंस ने शिमला थाना में साल 2011 को इंस्पेक्टर के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत मामला दर्ज किया था।
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