ऊना : गौरी मेम को पाने के लिए कभी-कभी भारतीय इतना क्रेजी हो जाता है कि किसी भी चुनौती से लडऩे से तैयार हो जाता है। यह चुनौती चाहे अपने जीवन भर का समय बीताने की हो या किसी की गुलामी करने की। ऐसा ही एक शक्स है, जिसने गौरी मेम को पाने की इच्छा में अपने 40 वर्ष बर्बाद कर दिए। भोले-भाले व्यक्ति की फायदा उठाते हुए अमृतसर के एक व्यक्ति गौरी मेम से शादी रचाने की बात कहते हुए न केवल 40 वर्ष अपने परिवार से अलग रखा, बल्कि बंधुआ मजदूर बनाकर पशुओं का गोबर उठवाया। ऐसे में बंधुआ मजदूर बने व्यक्ति के लिए अमृतसर की मनुखता दी सेवा सोसायटी फरिशता बनकर आई, जिन्होंने न केवल बंधुआ मजदूर को अमृतसर के व्यक्ति के चुंगल से छुडाया, बल्कि अपनों से भी मिलवाया।
बात कर रहे हैं हम जिला ऊना के हरोली विधानसभा क्षेत्र के तहत गांव गोंदपुर जयचंद की। गोंदपुर जयचंद निवासी रमेश अग्रिहोत्री करीब 40 वर्ष पहले अपने भाई से नराज होकर 18 वर्ष की उम्र में अपना घर छोड़ चला गया। भटकता हुआ रमेश अमृतसर जा पहुंचा, जहां पर एक रईस खानदान के व्यक्ति ने रमेश को गौरी मेम के शादी करवाने का झांसा दिया और घर का काम करवाने की बात कही। रमेश भी गौरी मेम के चक्कर में सबकुछ भूलकर बंधुआ मजदूर की तरह काम करने लगा। समय-समय बीतने के साथ-साथ रमेश अमृतसर के ही एक गांव में बंधुआ मजूदर की तरह काम करने लगा।
रमेश जहां पर भैंसों का गोबर उठाता था। रमेश जब भी गौरी मेम से शादी करवाने की बात कहता था, तो मालिक उसे हर बार अगले साल शादी करवाने की बात कहते थे। ऐसे ही रमेश के 40 वर्ष कब बीत गए, पता ही नहीं चला। ढलती उम्र के बाद रमेश ने भी गौरी मेम को पाने का सपना छोड़ दिया। इसी बीच मामले की भनक अमृतसर की मनुखता दी सेवी सोसायटी को लगी और इसका विडियो वायरल सोशल मीडिया पर अपलोड़ किया। सोशल मीडिया वायरल हुई विडियो में रमेश को उसके गोंदपुर जयचंद रह रहे भतीजे ने पहचान लिया। जिसके बाद भतीजे ने सोसायटी के प्रधान से संपर्क कर रमेश के बारे पूछा। बातचीत के बाद सारी सच्चाई सामने आई। सोसायटी के प्रधान ने बताया कि जल्द ही रमेश अग्रिहोत्री को गोंदपुर जयचंद लाया जाएगा, जहां पर उनके परिजनों के हवाले कर दिया जाएगा।
झूठा मनीऑर्डर का देने की होती थी बात
रमेश अग्रिहोत्री से हुई बातचीत के बात यह भी खुलासा हुआ कि अमृतसर का व्यक्ति मजदूरी की एवज में हर माह की तनख्वाह मनीऑर्डर के रूप में भेजने की बात कहता था, लेकिन 40 वर्षों में व्यक्ति ने एक रुपया भी घर नहीं भेजा है।