शिमला : बहुचर्चित स्काॅलरशिप स्कैम की जांच कुछ ही शैक्षणिक संस्थानों तक सीमित करने के मामले में जांच एजेंसी सीबीआई ने बुधवार को सील्ड कवर में अपनी रिपोर्ट प्रदेश हाईकोर्ट में पेश की। सीबीआई की और से अदालत से गुहार लगाईं गई थी कि वह मामले कि जाँच कर रही है तो इस स्थिति में सीबीआई को सील्ड कवर में रिपोर्ट दायर करने की अनुमति दी जाए। ताकि उनके द्वारा की गई जांच सार्वजानिक न हो।
दरअसल जनहित यात्रिका में कोर्ट को बताया गया था कि 250 करोड़ के इस स्कैम में 2772 शैक्षणिक संस्थान भी जांच की जद में हैं। मगर सूबे की सरकार ने महज 22 शैक्षणिक संस्थनों की जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंपा है। दायर याचिका में प्रार्थी ने छात्रवृत्ति घोटाले बारे दैनिक समाचार पत्रों में छपी खबरों को भी सलंगन किया है। प्रकाशित खबरों के अनुसार प्रारंभिक जांच में सीबीआई ने बड़ा खुलासा किया है। केंद्रीय जांच एजेंसी को छानबीन में पता चला है कि शिक्षा विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों व निजी शिक्षण संस्थानों में छात्रवृत्ति हड़पने के लिए बाकायदा एक रैकेट चल रहा था।
इस बीच अब तक की सीबीआई जांच में सामने आया है कि ऊना व नंवाशहर के निजी शिक्षण संस्थानों ने छात्रवृत्ति हड़पने के लिए छात्रों की जाति को ही बदल दिया। छात्रवृति की रकम ज्यादा हड़पने के लिए अनुसूचित जाति (एसी) के छात्रो को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का फर्जी छात्र बनाया गया। छात्रो की जाति बदलकर छात्रवृति हड़पने का यह खेल इसलिए खेला गया क्योकि एसटी के छात्रो को एसी के छात्र से दोगुनी छात्रवृति मिलती है। अनुसूचित जाति के छात्र को 50,000 और अनुसूचित जनजाति के छात्र को 98,000 की छात्रवृति मिलती है। संस्थान में छात्रवृति की रकम ज्यादा हड़पने के लिए छात्रों की न केवल जाती ही बदल दी बल्कि छात्रो के विषय (संकाय) तक बदल दिए।
संस्थान छोड़ चुके छात्रो को संस्थान का फर्जी छात्र दिखाकर और उनके विषय बदल कर छात्रवृतिया हड़पी गई। यही नही छात्रवृतियां हड़पने के लिए डें स्कोलर छात्र को होस्टलियर छात्र दर्शाया गया। साथ ही उनके सारे दस्तावेज ही फर्जी बनाकर छात्रवृति की रकम डकार ली गई। छात्रवृति हड़पने के लिए राज्य के बाहर बैंको में छात्रो के बैंक खाते खोले गए। सीबीआई ऊना व नंवाशहर के निजी शिक्षण संस्थानों के खिलाफ इसी माह में चार्जशीट को अदालत में दायर कर सकती है।