भुंतर : ग्राम पंचायत रोट के गांव थरास में एक परिवार बहुत ही विषम परिस्थितियों और अत्यंत गरीबी में जीवन यापन कर रहे है। यह गरीब परिवार एक टूटी छत के नीचे जान हथेली पर रख कर मौत के साये में जिंदगी गुजारने को मजबूर है। बरसात के मौसम में टपकती छत के नीचे गीले बिस्तर पर गरीब दंपति ने दिन और रातें बिताई है। अब सर्दी के मौसम में बारिश के समय ठिठुरते हुए नरकीय जीवन जीने को मजबूर है। भारी बारिश व बर्फबारी में गली-सड़ी लकड़ियों वाली नाजुक टपकती हुई छत के टूटने का खतरा बना हुआ है। अगर समय रहते छत की रिपेयर नहीं की तो हादसा कभी भी हो सकता है। अगर कोई घटना घटती है तो उसका जिम्मेदार कौन होगा? जबकि प्रशासन के ध्यान में 10 महीने पहले से ही यह मामला हैं।
वृद्ध दंपति की दयनीय हालत का यह मामला प्रेस क्लब भुंतर ने इसी वर्ष जनवरी में प्रशासन के ध्यान मेंं लाया था। पूर्व में रहे डीसी यूनुस खान ने गरीब की सहायता व स्थिति का जायजा लेने सहायक आयुक्त को मौके पर भेजा था। सहायक आयुक्त सन्नी शर्मा अन्य अधिकारियों के साथ स्वयं रोट पंचायत गरीब दंपत्ति के घर पहुंचे थे। दंपत्ति की दयनीय स्थिति को देखते हुए कुछ एक सरकारी योजना का लाभ उसी समय दे दिया गया। उसके उपरांत गरीब के कच्चे मकान की मरम्मत के लिए 50 हजार का ऐस्टीमेट भी तैयार हुआ, लेकिन अभी तक छत की रिपेयर नहीं हुई।
हालांकि नई डीसी डॉ. ऋचा वर्मा के ध्यान में भी यह मामला लाया पर किसी ने इस पर गंभीरता नहीं दिखाई। ऐसा लगता है किसी हादसे के बाद ही प्रशासन जागेगा। जबकि गरीब दंपत्ति टूटी छत के ऊपर तिरपाल डाल कर उसके नीचे रातें गुजार रहा है। गरीबी की हालत मेंं मजबूर परिवार बारिश के दिनों मेंं टपकती छत के नीचे जाग कर रातें गुजारता है। बताते चलें तो रोट पंचायत के अंतर्गत आने वाले गांव थरास में गरीब अल्प संख्यक समुदाय से संबंध रखने वाला एक परिवार की माली हालत बहुत ही नाजुक है। गरीब परिवार से संबंध रखने वाला बुजुर्ग सदीक (75) वर्ष अपनी अपंग पत्नी हाजरा के साथ यहां रहता है।
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दंपत्ति की माली हालत बहुत ही खराब है, जिसे देख किसी का भी दिल पसीज जाए। इनकी अपनी कोई संतान नहीं है। दोनों चादरों की छत वाले कच्चे मकान के एक कमरे में रहकर जिंदगी गुजार रहे हैं। उसी कमरे में खाना बनाना, वहीं पर सोना, पूरा रहन-सहन इसी में ही होता हैं। हाजरा को एक आंख से नहीं दिखाई देता, दूसरी आंख की रोशनी भी कमजोर है। हाजरा को अपंगता की पेंशन भी नहीं मिलती। बुजुर्ग इस उम्र में कहीं कमाने भी नहीं जा सकता, जिस कारण दोनों का भरण-पोषण करना बेहद मुश्किल है। सदीक की पेंशन का थोड़ा सा सहारा है। कई बार स्थिति ऐसी हो जाती है कि भूखे रहने की नोबत भी आ जाती है।
वहीं साथ के कमरे में रहने वाले सदीक के साले कालू दीन जो अपनी पत्नी व दो बच्चों के साथ रहता है, उसकी माली हालत भी नाजुक है। बारिश मेंं इन लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उधर प्रधान ग्राम पंचायत रोटअनिता शर्मा का कहना है कि डीसी के आदेश पर सदीक के घर की टूटी छत का एस्टीमेट उनके कार्यालय को भेज दिया है। अभी तक उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।