गांधी जयन्ती
गांधी जयन्ती के अवसर पर
धूल से सनी
गांधी तेरी तस्वीर को
बड़े अदब के साथ
खूंटी से उतार कर
पोंछा गया
फूलों के हार पहनाकर
अगरबत्ती जलाई गई
और फिर
तुम्हारे प्रिय गीत
रघुपति राघव राजा-राम
पतित पावन सीता-राम
सुनाकर
तुम्हें भुला चुके
देश के लोगों को
तुम्हारी याद दिलाई गई
और फिर दिये गये
भाषण बड़े-बड़े
भाषणों में खिलाए गए
आश्वासनों के पुलाव
पिलाया गया
सूप योजनाओं का
और तुम्हारी तरह मर चुके
तुम्हारी सिद्धांतों को
फिर से पुर्नर्जीवित करन का
किया गया असफल प्रयास
उन्हीं लोगों द्वारा
जिनका आर्दश और सिद्धांतों से
कोई नाता नहीं था
अंत में एक बार फिर
बरसों से चली आ रही
परम्पाराओं को निभाने के बाद
शाम को तेरी तस्वीर
उसी खूंटी से टंगी पाई गई
देख महात्मा गांधी
तेरे देश में तेरी जयन्ती
यूं औपचारिकता वश मनाई गई।
पंकज तन्हा
काव्य संग्रह- शब्द तलवार है