नाहन:दिवाली के 11 दिन बाद ग्यास की रात को पच्छाद क्षेत्र के प्राचीन भूरेश्वर महादेव मंदिर में रोंगटे खड़े कर देने वाला नजारा होगा। मंदिर के पुजारी जान जोखिम में डालकर देव परंपरा को निभाएंगे। भुंडा महायज्ञ की तर्ज पर ही यहां भी सांसे अटक जाएंगी। देवता का यह चमत्कार सात नवंबर की रात्रि को होगा। जब चारों तरफ अंधकार छा जाएगा,तो उस समय मंदिर के पुजारी एक ऐसी शिला पर छलांग लगाएंगे।
जिस पर दिन भर श्रद्धालुओं द्वारा घी-मक्खन को अर्पित किया गया होगा। शिला के ठीक नीचे सैकड़ों फीट गहरी खाई है। 6 नवंबर से प्राचीन भूरेश्वर महादेव मेले का आगाज होगा। तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। परंपरा के मुताबिक खेल में देवता उस समय शिला पर छलांग लगाते हैं,जब घुप अंधेरा हो जाता है।
चमत्कार यह है कि तिरछी लटकी शिला पर छलांग लगाते हुए पुजारी करवटें भी लेता है,लेकिन पुजारी सुरक्षित रहता है। इस जगह को देखने से ही कंप-कंपी सी छूट जाती है। मंदिर के इतिहास में अगर झांका जाए तो भूरेश्वर महादेव 22 अलग-अलग वंशों के आराध्य देव हैं। 7 नवंबर को मेले के समापन समारोह में विधायक रीना कश्यप मुख्य अतिथि के तौर पर पहुंचेंगी। शिवालिक पर्वत माला पर स्थित इस मंदिर का इतिहास बेहद ही प्राचीन है। ऐसी भी मान्यता है कि भगवान शिव ने इस जगह पर तप किया था। यहां तक कि महाभारत का युद्ध भी इसी जगह से देखा था। यहां स्थापित शिवलिंग का इतिहास भी प्राचीन है। ऐसा बताया जाता है कि यहां स्थापित शिवलिंग 10 मीटर तक पहाड़ के भीतर है।