सोलन : हिमाचल प्रदेश में प्याज की केवल एक फसल उगाई जाती है। महाराष्ट्र में प्याज की तीन फसलें उगाई जाती हैं। प्रदेश में प्याज की मांग को पूरा करने के लिए बाहरी राज्यों को प्याज पर निर्भर रहना पड़ता है। समय-समय पर यह देखा गया है कि प्याज के दाम, आम जनता की पहुंच से दूर हो जाते हैं। इसी समस्या से निजात दिलाने के लिए डॉ. यशवन्त सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी के वैज्ञानिकों ने एक बेहतर विकल्प ढूंढ निकाला है-खरीफ प्याज। खरीफ प्याज न केवल आम जनता को महंगाई के दंश से बचा सकता है अपितु किसानों की आमदनी को बढ़ाने का भी एक विकल्प हो सकता है, बशर्ते कि किसान इसकी खेती को तकनीक हासिल करके वैज्ञानिक विधि से अपनाएं।
खरीफ प्याज की फसल ऐसे समय में बाजार में दस्तक देती है जब आम जनता प्याज के आसमान छूती कीमतों से परेशान होती है। नौणी विवि के नेरी स्थित औद्यानिकी एवं वानिकी महाविद्यालय में कार्यरत सब्जी वैज्ञानिक डॉ. दीपा शर्मा, खरीफ प्याज की लोकप्रियता एवं जागरूकता स्तर को बढ़ाने के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, नई दिल्ली, भारत सरकार द्वारा स्वीकृत 20.43 लाख रुपये की एक परियोजना पर कार्य कर रही हैं। यह योजना वर्तमान में चम्बा के विभिन्न स्थानों पर चलाई जा रही है। इस योजना में विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डॉ. राजीव रैना और डॉ. संजीव बन्याल सह-प्रमुख अन्वेषक के रूप में कार्य कर रहे हैं।
इस प्रोजेक्ट के अन्तर्गत विगत दो वर्षों में चम्बा के विभिन्न स्थानों पर 245 प्रदर्शन एवं 14 प्रशिक्षण कार्यक्रम किए गए, जिनमें लगभग 362 किसानों लाभान्वित हुए। आंकड़े बताते हैं कि खरीफ प्याज की 1 क्विंटल गट्ठियां तैयार करके रख ली जाएं तो यही गट्ठियां बाद में प्याज के रूप में छः गुणा अधिक उत्पादन देती हैं। बाजार में यही प्याज 50 रुपये किलोग्राम के हिसाब से आराम से बिक जाता है। किसान 1 क्विंटल गट्ठियों से 6 क्विंटल प्याज प्राप्त करके 30 हजार रुपये तक आय प्राप्त कर सकता है।
लिहाजा किसान न केवल अपने लिए प्याज उत्पादन कर सकता है बल्कि आम जनता के लिए भी बाहरी राज्यों की आवक के बजाय क्षेत्रीय प्याज को सस्ते दामों पर उपलब्ध करवा सकता है। चम्बा में खरीफ प्याज की बढ़ती लोकप्रियता एवं किसानों द्वारा खरीफ प्याज से प्राप्त आय को मद्देनजर रखते हुए यह समय की मांग लग रही है कि खरीफ प्याज के व्यावसायिक उत्पादन के लिए प्याज उत्पादन वाले क्षेत्रों में खरीफ प्याज (बरसाती प्याज) उत्पादन की लोकप्रियता एवं जागरुकता को किसानों तक पहुंचाया जाए। चम्बा में इसका सफल प्रयोग हो चुका है। वहां के किसानों से बहुत ही उत्साहवर्धक आंकड़े प्राप्त हुए हैं। किसान खरीफ प्याज की फसल की गट्ठियां तैयार करके इसे अगस्त माह के दूसरे सप्ताह में पुनः रोपित कर सकते हैं।
अक्तूबर माह के दूसरे सप्ताह में हरे प्याज के रूप में भी प्रयोग या बेच सकते हैं। अतः प्याज उस समय बाजार में आता है जब इसके दाम आसमान छूने लगते हैं। यह फसल दिसम्बर माह के प्रथम सप्ताह में तैयार हो जाती है। नौणी विवि के कुलपति डॉ परविंदर कौशल ने खरीफ प्याज पर किए इस कार्य को किसानों द्वारा व्यावसायिक स्तर पर अपनाने की सलाह दी और विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों को इसे अधिक से अधिक किसानों तक पहुंचाने का आग्रह किया। निदेशक अनुसंधान डॉ जेएन शर्मा, नेरी महाविद्यालय के डीन डॉ पी. सी. शर्मा और विश्वविद्यालय के अन्य अधिकारियों ने खरीफ प्याज के ऊपर किये गये कार्य की सराहना की।