सोलन : प्रदेश सरकार ने पंचायती राज चुनावों की तैयारी शुरू होने के साथ ही सोलन में नगर निगम बनने की उम्मीदों पर पानी फिरता हुआ नजर आने लगा है। गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश में पंचायतीराज संस्थाओं के चुनाव अगले साल दिसंबर में होंगे। जिसमें सोलन को नगर निगम बनाने जैसी कोई बात नहीं की जा रही है। जानकारी के मुताबिक आयोग ने प्रदेश की सभी पंचायतों में मतदाता सूचियों में संशोधन का काम शुरू कर दिया है। सरकार पंचायतीराज संस्थाओं के साथ-साथ शहरी निकाय के चुनाव करवाने की सोच रही है।
नगर निगम धर्मशाला के चुनाव अगले साल दिसंबर में ही तय हैं। लेकिन नगर निगम शिमला के लिए डेढ़ साल का गैप पड़ेगा। मिली जानकारी के मुताबिक प्रदेश सरकार अब हिमाचल में नगर निगम, शहरी निकायों और पंचायतों के चुनाव एक साथ करवाना चाहती है। लेकिन सबसे बड़ी समस्या शिमला नगर निगम के चुनाव समय से पहले करवाना है।
पंचायती राज मंत्री इस बारे में साफ कह चुके हैं कि पंचायतीराज और शहरी निकाय के चुनाव एक साथ करवा सकते हैं। इस घोषणा के बाद यह बात तो तय है कि सोलन को नगर निगम बनाने के नाम पर नेताओं ने लोगों को सिर्फ गुमराह करने का काम किया है। वहीं सोलन कि नगर निगम संघर्ष समिती ने भी सोलन को नगर निगम का दर्जा दिलवाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाया था। लेकिन अभी तक हाथ कुछ नहीं लगा। हलाकि जनता का उन्हें भरपूर सहयोग मिला है।
हस्ताक्षर अभियान के साथ पोस्ट कार्ड तक मुख्यामंत्री को भेजे गए थे। लेकिन कही से भी कुछ होता नजर नहीं आ रहा है। संघर्ष समिति के सदस्यों ने भूख हड़ताल पर बैठने की भी बात कही थी। लेकिन लगता है कि भूखहड़ताल करने से भी सोलन की जनता को नगर निगम नहीं मिलने वाला है। अब देखना यह होगा की क्या नगर निगम संघर्ष समिति के सदस्य भूख हड़ताल पर बैठेंगे या सिर्फ अख़बार की सुर्खिया बटोरने के लिए शगुफा छोड़ा गया था।