घुमारवीं : उपमंडल के अंतर्गत पड़ने वाली भराड़ी उप तहसील पर बना सीएचसी स्टाफ की कमी के चलते आज खुद ही बीमार चल रहा है। यहाँ पिछले दो साल से न डॉक्टरों की कमी पूरी हुई, न ही लोगों का इलाज सही तरीके से हुआ। जिस कारण लोगों को निजी अस्पतालों को मजबूरन अपना रूख करना पड़ रहा है। गौरतलब है कि इस सीएचसी में 150-200 तक ओपीडी होती है, लेकिन समस्या यहाँ तीन डॉक्टर हैं, जिनमें से एक डैंटल दो एमबीबीएस हैं।
एक डॉक्टर नाईट डयूटी पर मौजूद रहता है तो दूसरा डे डयूटी पर। आखिर डॉक्टर छुट्टी भी जाना चाहे तो कब जाए। अगर कोई छुट्टी चला ही जाता है तो अस्पताल में काम खड़ा हो जाता है। इतना ही नहीं लोगों के हिमकेयर व आयुष्मान भारत जैसे स्वास्थ्य कार्ड बने है, जिनके तहत निशुल्क टैस्ट होते हैं। मगर बड़ी अजीब है यहाँ पर टीएफटी जैसे कई टैस्ट अंदर होते ही नहीं है। बाहर निजी लैब में करवाने पडते हैं, जिनकी फीस 500 रूपये तक ली जीती हैं। लोग बिना वजह परेशान हो रहे हैं। सुविधा न होने की वजह से लोगों को मजबूरी में हमीरपुर या बिलासपुर जाना पड़ता है या फिर निजी क्लीनिक में भारी पैसे खर्च करके फीस अदा करनी पड़ती हैं।
जिला पार्षद व बिलासपुर जिला परिषद् के उपाध्यक्ष अमिं चंद सोनी ने बताया कि इस बारे में बार-बार स्वास्थ्य विभाग से मांग की जाती रही है कि इस अस्पताल में डॉक्टर व अन्य कर्मियों के पदों को भरा जाए लेकिन किसी के कान पर जूं तक नहीं रेंगती। यह अस्पताल 15-18 पंचायतो का अस्पताल है, लेकिन अंदर पूरे टैस्ट तक नहीं होते। लोगों को निजी लैब में पैसा देना पड़ता है। आयुष्मान भारत व हिम केयर स्वास्थ्य कार्ड वाले लोगों को अपना टैस्ट करवाने शिमला, धर्मशाला, हमीरपुर या टांडा जाना पड़ता है।
होना तो यह चाहिए कि यहाँ सभी सुविधाएं होनी चाहिए ताकि लोगों को लाभ मिल सके। इस बारे में घुमारवीं के खंड चिकित्सा अधिकारी अभिनीत शर्मा से बात की गई उन्होने बताया कि यह सभी समस्याएं उच्च अधिकारियों को बता दी गई है। जल्दी ही स्टाफ की कमी व अन्य समस्याओं को दूर किया जाएगा।