सोलन (एमबीएम न्यूज) : अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक) के प्रदेशाध्यक्ष कामरेड जगदीश भारद्वाज ने जाबली में श्रमिकों पर किए गए लाठीचार्ज के मामले में डीएसपी परवाणू और तहसीलदार कसौली के उस बयान पर आश्चर्य प्रकट किया है जिसमें उन्होंने दावा किया था कि झड़प में पांच पुलिस कर्मचारी घायल हुए हैं। उन्होंने कहा कि एक तरफ तो पुलिस तर्क दे रही है कि लाठीचार्ज हुआ ही नहीं और न ही बल का प्रयोग किया गया। ऐसे बड़ा सवाल उठता है कि आखिर पुलिस कर्मचारी घायल कैसे हो गए।
उन्होंने कहा कि एटक मांग करती है कि इस मामले की जुडिशियल इनक्वायरी की जाए,ताकि वास्तविकता का पता चल सके। एटक ने पुलिस और प्रशासन द्वारा जाबली उद्योग के श्रमिकों के आंदोलन में असामाजिक तत्वों के भाग लेने के दावे को सिरे से खारिज किया है। भारद्वाज ने कहा कि पुलिस लाठीचार्ज की घटना को सही सिद्ध करने के लिए श्रमिकों को असामाजिक तत्व बता रही है। उन्होंने कहा कि इस आंदोलन में स्थानीय पंचायत के प्रतिनिधि भी अपना योगदान दे रहे।
उन्होंने कहा कि विभिन्न श्रमिक संगठनों और आम-जन के आक्रोश को देखते हुए पुलिस अपने एक्शन को सही साबित करने के लिए इस तरह के बयान दे रही है। उन्होंने कहा कि पुलिस के लाठीचार्ज में उद्योग श्रमिकों सहित करीब 50 कार्यकर्ता घायल हुए हैं जिनमें एटक के जिला सचिव एडवोकेट अतुल भारद्वाज को गंभीर चोंटे आई हैं जो अभी भी उपचाराधीन हैं। उन्होंने कहा कि कामगारों का आंदोलन तब तक नहीं रूकेगा जब तक श्रमिकों को न्याय नहीं मिल जाता।
उन्होंने तहसीलदार कसौली और पुलिस उपाधीक्षक पर उद्योग प्रबंधों से मिलीभगती का आरोप लगाते हुए कहा कि अभी तक प्रशासन ने श्रमिकों की समस्याओं को जानने का प्रयास तक नहीं किया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार जितना मर्जी दम लगा लगा ले श्रमिकों के आंदोलनों को कुचल नहीं पाएगी। कामरेड भारद्वाज ने कहा कि शीघ्र ही लाठीजार्च के विरोध में एटक, सोलन सहित प्रदेश के विभिन्न भागों में बड़ी रैली निकालेंगे और कांग्रेस सरकार, प्रशासन तथा पुलिस की कारगुजारियों से जनता को अवगत करवाएंगे।
एटक ने उद्योग प्रबंधकों को चेतावनी देते हुए कहा कि वे शीघ्र श्रमिकों की मांगों और समस्याओं को दूर करें वरना श्रमिक आंदोलन और तीव्र होगा। उन्होंने कहा कि पुलिस की बर्बरतापूर्ण कार्रवाई का जवाब देने के लिए हम लोकतंत्र तरीके से अपनी लड़ाई जारी रखेंगे और उद्योग के बाहर चल रहा आंदोलन तब तक बंद नहीं होगा जब तक श्रमिकों की मांगे नहीं मानी जाती हैं।