सोलन : हिन्दुओं के त्यौहार दशहरे में मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखने वाले शाहनवाज व उनके साथी रौनक लगाते है। जी हां, हिमाचल प्रदेश मे ऐसा कोई कारीगर नहीं है जो कि दशहरे पर्व पर रावण, मेघनाथ व कुम्भकर्ण के पुतलों को तैयार करने में सक्षम हो। सोलन में दशहरे को लेकर बनाए जा रहे रावण, मेघनाथ, कुम्भकर्ण के पुतले को सहारनपुर के मुस्लिम समाज के शाहनवाज बना रहे हैं, जो हिन्दुओं के त्यौहार में पुतले बनाकर इस त्यौहार की रौनक बढ़ा रहे हैं।
मजहब नहीं सिखाता आपस मे बैर रखना…
हिन्दु धर्म के पवित्र त्यौहार दशहरे पर मुस्लिम लोग चार चांद लगाते हैं। कल्पना कीजिए, यदि आपको रावण, मेघनाथ, कुम्भकर्ण के पुतले देखने को न मिले तो इस त्यौहार की रौनक कितनी फीकी हो जाएगी। बिरले ही ऐसे लोग हैं, जो इन पुतलों को तैयार करते हैं। पिछले कई वर्षों से शाहनवाज इन पुतलों को बनाकर अच्छी कमाई कर यहां से जाते हैं। उन्होंने युवा पीढी को भी अपने इस पुश्तैनी कार्य से जोडे रखा है, जो कि आधुनिकता की चकाचौंध में लुप्त होती जा रही है।
दशहरे पर्व पर आकर्षण का केंद्र पुतलों को देखने बडी दूर-दूर से आते हैं। लेकिन इसे बनाने वाले कारीगर बिरले ही बचे हैं। बेरोजगारी के दौर में युवा पीढी इस तरह के बारीक कार्य में रूचि नहीं रख रहे। लेकिन शाहनवाज व उनके साथ आए अन्य मुस्लिम युवा संदेश देते हैं कि कोई कार्य छोटा-बड़ा नहीं होता। मजहब की सरहदें भी आपके हाथ के हुनर को दिखाने से नहीं रोक सकती। बात करते हुए लकड़ी के कार्य में महारत हांसिल शाहनवाज व उनके साथ आए युवाओं ने कहा कि वह पिछले करीब 20 वर्षों से इस कार्य के जरिए अच्छी आमदनी जुटा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि अपने पूर्वजों से इस कार्य को सीखा था। आज वह अपने हाथ के हुनर से संतुष्ट हैं। उन्हें किसी तरह की परेशानी नहीं है। उन्होंने कहा कि यदि व्यक्ति के पास हाथ का हुनर है तो चाहे वह किसी भी कार्य में है, वह भूखा नहीं मर सकता। उन्होंने वर्तमान पीढ़ी से आग्रह किया है कि वह भले ही अच्छी पढ़ाई कर ले, लेकिन हाथ के हुनर को अवश्य प्राप्त करे। उन्हे हाथ के हुनर से अच्छा रोजगार मिल सकता है।
उन्होंने चिंता जताई की यदि युवाओं ने अपने पुश्तैनी कार्यों को नहीं संजोया तो आने वाले दिनों में इस तरह के कारीगरों की कमी के कारण यह कार्य बंद भी हो सकते हैं। वहीं युवाओं ने कहा उनके जैसे अन्य युवा पढ़ाई के साथ-साथ कोई ऐसा कार्य सीखें, जो उन्हें नौकरी न मिलने पर भी मदद करे। उन्होंने कहा कि उनके लिए आज उनके हाथ का हुनर ब्रहमस्त्र बना हुआ है।
निश्चित तौर पर तिनका-तिनका जोड़ अद्भुत कारीगरी दिखाने वाले यह लोग युवाओं के लिए प्रेरणा के पात्र हैं। युवाओं को अपने पुश्तैनी कार्य को कभी नहीं छोड़ना चाहिए। निश्चित तौर पर नौकरी की तरफ भागने वाले बेरोजगार युवा इनसे सीख लेकर अपने हाथ का हुनर प्रदान कर अच्छी आमदनी प्राप्त कर सकते हैं।