नाहन : दलित नेत्री दयाल प्यारी के इन और आउट के फेर में बीजेपी फंसी हुई है। जिला परिषद की सदस्य दयाल प्यारी को टिकट दिया जाता है तो भंडारी गुट नाराज हो जाएगा। अगर दयाल प्यारी को टिकट नहीं दिया जाता है तो खुद मैडम नाराज हो जाएंगी। दिलचस्प बात यह है कि सोमवार नामांकन पत्र दाखिल करने का अंतिम दिन है, लेकिन बीजेपी अंतिम फैसला नहीं ले पा रही।
पहली बार क्षेत्रवाद भी टिकट के वितरण में नजर आ रहा है।
विधायक के सांसद बनने के बाद से ही राजगढ़ क्षेत्र टिकट पर दावेदारी कर रहा है। टिकट के वितरण में रोचक घटनाक्रम यह हुआ है कि पहले मीडिया में यह खबरें छपी कि बीजेपी ने पच्छाद हलके से तीन का पैनल केंद्रीय संसदीय बोर्ड को भेजा है। फिर दूसरी खबर में यह आया कि बीजेपी ने तीन नहीं बल्कि चार का पैनल भेजा है। इस पैनल में दयाल प्यारी भी शामिल है।
हालांकि तर्क यह भी दिया जा रहा है कि बीजेपी ने उम्मीदवार के लिए हलके में सर्वे भी करवाया है। लेकिन इसमें किसे सबसे ऊपर रखा गया है, इसका खुलासा नहीं हो पाया। नामांकनपत्र दाखिल करने के लिए उम्मीदवार को लंबी औपाचारिकताएं भी पूरी करनी होती हैं। ऐसे में एक ही दिन में औपचारिकताएं पूरी करने के बाद नामांकन दाखिल करना होगा। चर्चाओं के मुताबिक बीजेपी के टिकट को लेकर जो लोग आश्वस्त हैं, उन्होंने औपचारिकताओं को लेकर कुछ होमवर्क कर भी लिया है। पच्छाद हलके की राजनीति बेहद ही गजब है। यहां गिरि आर से बलदेव भंडारी तो गिरिपार से चंद्रमोहन ठाकुर शीर्ष नेता हैं।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि चंद्रमोहन ठाकुर की संगठन में पैठ है। ऐसे में ठाकुर अपने क्षेत्र से रीना कश्यप या फिर आशीष सिक्टा की पैरवी कर रहे हैं, इस बात पर तो संशय है, क्योंकि दयाल प्यारी को भी उनकी गुड बुक्स में माना जाता है। उधर कांग्रेसी खेमे में मुसाफिर का टिकट तय माना जा रहा है। लगातार दो बार विधानसभा चुनाव हार चुके मुसाफिर मतदाताओं के बीच पहुंचकर सहानुभूति जुटाने का प्रयास यह कहकर कर रहे हैं कि उनका अंतिम प्रयास है। परिवार से भी कोई राजनीति में नहीं है।