बिलासपुर : गत दिवस यहां के समीपी पंचायत टरवाड के गांव मिओठ में करंट लगने से हुई युवक की मौत पर परिजनों ने नयना देवी के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टर्स को जिम्मेदार ठहराया है। आज नयना देवी में पत्रकारों के साथ अपना ब्यान साझा करते हुए परिजनों ने कहा कि नयना देवी के गांव घ्वांडल में अगर डाक्टर ठीक समय पर इलाज करते तो उनके बेटे की जान बच सकती थी। उन्होंने आरोप लगाया कि जब सुबह 7 बजे मूर्छित अवस्था में जगदेव को स्वास्थ्य केंद्र घ्वांडल में लाया गया, तब डाक्टर अपने कमरे में आराम फरमा रहे थे।
जगदेव के बारे में जब डॉक्टर्स को बताया कि उसकी हालत गम्भीर है। तब भी डॉक्टर्स ने कहा कि उनकी ड्यटी नहीं है। दूसरे डाक्टर की ड्यूटी है। जब परिजन दूसरे डाक्टर के पास गए तो उसने भी यही कहा कि उसकी ड्यूटी नहीं है और बात को टाल दिया। ऐसे में अस्पताल में बैठे फार्मासिस्ट ही जगदेव को देख रहे थे। क्योंकि जगदेव की हालत काफी नाजुक थी। जबकि डाक्टर एक-दूसरे की ड्यूटी बताते रहे। उधर 2 घंटे बीत जाने के बाद जगदेव ने अपने प्राण त्याग दिए।
परिजनों ने पत्रकारों को बताया कि घ्वांडल में डॉक्टर्स का यह कैसा बर्ताव है। जबकि एमर्जेन्सी में उन्हें मरीज को देखना चाहिए था। ऐसे समय में भी वे एक-दूसरे की ड्यूटी बताने में समय गंवाते रहे। गत दिवस नयना देवी के समीपी पंचायत टरवाड के गांव मिओठ में आटे की चक्की की मोटर को हाथ लगाते हुए करंट लग गया था। घायल को उसी समय घ्वांडल में लाया गया। जिसे काफी देर के बाद देखने पर मृत घोषित कर दिया गया था। यहां यह बता दें कि वर्तमान में नयना देवी में मात्र एक ही अस्पताल है।
नयना देवी के साथ लगते कई गांव के मरीज यहां आते हैं। उधर जब इस सबंध में बीएम्ओ मार्कंड डाक्टर परवीन से पूछा तो उन्होंने कहा अभी तक कोई भी लिखित रूप से शिकायत नहीं आई है। ऐसे में जब शिकायत आएगी तो वो इस बात का पता करेंगे कि किस डाक्टर की ड्यूटी थी तथा आगामी कार्यवाई लाई जाएगी।