नाहन : इसमें कोई दो राय नहीं है कि न्यायपालिका के आदेश का क्रियान्वयन हर हाल में लाजमी है। सोमवार को हाईकोर्ट के आदेश पर नगर परिषद अतिक्रमण हटाने की मुहिम में एक मार्मिक नजारा भी सामने आया। जेसीबी चालक से लेकर सुरक्षा में तैनात हरेक कर्मचारी भावुक था, क्योंकि एक मूक-बधिर दंपत्ति का आशियाना तोड़ा जा रहा था।
यही नहीं, कुदरत की मार देखिए, दंपत्ति के तीन बच्चों में से एक बेटा भी दिव्यांग है। बेहतर होता कि आशियाना ढाने से पहले नगर परिषद गरीब दंपत्ति का बच्चों सहित अस्थाई पुनर्वास कर देता। हालांकि जब एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने इस बारे कार्यकारी अधिकारी से सवाल किया तो वो तपाक से बोले, कांशीवाला में अस्थाई व्यवस्था एक महीने के लिए की गई है। साथ ही खाने का इंतजाम भी किया जाएगा। मूक-बधिर सुरेश को यह आशियाना अपने पिता नीमा राम से मिला था। उसे इस बात तक का इल्म नहीं था कि एक दिन अचानक ही दर्जनों पुलिस कर्मियों के साथ नगर परिषद के कर्मचारी आकर चंद पलों में ही उसके घर को तोड़ देंगे।
सवाल इस बात पर भी पैदा होता है कि सरकार की वो योजनाएं कहां हैं, जिसके बडे़-बड़े दावे गरीबों के लिए किए जाते हैं। नगर परिषद के माननीय पाषर्द मुंबई की सैर पर हैं, मगर एक भी पार्षद ने इस बात को नहीं सोचा कि रानी के बाग में जो आशियाना उजड़ रहा है, वो बाशिंदें कहां जाएंगे, जो अपना पक्ष तक नहीं रख पा रहे। लंबे अरसे से मूक-बधिर दंपत्ति सुरेश व बेलो देवी अपने तीन बच्चों पंकज, लक्ष्य व सिद्धू के साथ रह रहे थे।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने जब कार्यकारी अधिकारी जसमेर ठाकुर से जब सीधा सवाल पूछा कि कितने अवैध कब्जे हटाए गए हैं, इसमें प्रभावशाली लोगों की संख्या कितनी है। इसके जवाब में उन्होंने कहा कि सोमवार के लिए 10 की सूची बनाई गई थी। इस कार्य को पूरा किया गया है। इसमें प्रभावशाली लोग थे या नहीं, इसकी जानकारी कनिष्ठ अभियंता से हासिल की जा सकती है।
उधर बार-बार संपर्क किए जाने पर नगर परिषद के कनिष्ठ अभियंता ने फोन रिसीव नहीं किया। उल्लेखनीय है कि जब मूक-बधिर सुरेश का आशियाना तोड़ा जा रहा था तो वो केवल इशारे से ही अपना दुख जाहिर करने की कोशिश कर रहा था। मासूम बच्चों को यह नहीं पता था कि अचानक ही उनका घर तोड़कर उन्हें क्यों बेघर कर दिया गया।