शिमला : बागवानी राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था का प्रमुख आधार है। बागवानी विकास के क्षेत्र में हिमाचल प्रदेश ने देश में अपनी पहचान बनाई है। आज राज्य में 2.30 लाख हैक्टेयर क्षेत्र बागवानी के अधीन है। फल उत्पादन बढ़कर अब 10.38 लाख मीट्रिक टन हो गया है। वर्तमान सरकार के नव प्रयासों के परिणामस्वरूप बागवानी विकास में नए आयाम स्थापित हो रहे हैं। इस समय बागवानी का राज्य की वार्षिक आय में लगभग 3000 से 5000 करोड़ रुपये का योगदान हो गया है। औसतन 9 लाख लोग बागवानी गतिविधियों से आजीविका प्राप्त कर रहे हैं।
वर्तमान सरकार के दौरान लगभग 8446.93 हैक्टेयर अतिरिक्त क्षेत्र बागवानी के अधीन लाया गया। प्रदेश में कुल 30.37 लाख पौधे बागवानों को वितरित किए गए। इस दौरान एकीकृत बागवानी विकास मिशन के अंतर्गत फल बागीचों के उच्चतम प्रबंधन के लिए 3,049 शक्तिचालित उपकरण तथा 198 जल भंडारण टैंक के लिए उपदान उपलब्ध करवाया गया। उद्यान फसलों, सब्जियों और फूलों की संरक्षित खेती को बढ़ावा देने के दृष्टिगत 83,677 वर्गमीटर अतिरिक्त क्षेत्र को हरित गृह के अंतर्गत और 9,44,215 वर्गमीटर ओला अवरोधक जालियों के अधीन लाया गया।
वर्तमान सरकार के कार्यकाल के दौरान फलदार पौधों में कीट-व्याधियों के नियंत्रण के लिए 349.90 मीट्रिक टन पौध संरक्षण दवाइयां उपलब्ध करवाने के लिए 5.21 करोड़ रुपये का अनुदान फल उत्पादकों को दिया गया। फल उत्पादकों को उनके उत्पाद का लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करवाने के लिए मंडी मध्यस्थता योजना के अंतर्गत सेब, आम तथा नींबू प्रजातीय फलों के लिए 371 प्रापण केन्द्र खोले गए हैं। बागवानों से 2064.74 लाख रुपये का 27,348.91 मीट्रिक टन फल खरीदा गया। बागवानों को वितरण के लिए 1,33,333 प्लास्टिक क्रेट की खरीद की गई ताकि बागवानों को विपणन की सुविधा सुलभ हो सके।
राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत औद्यानिकी विकास की परियोजनाओं के लिए कुल 3.50 करोड़ रूपये की धनराशि का प्रावधान किया गया है। इस योजना के अंतर्गत बागवानी यंत्रीकरण के लिए राज्य में 196 यन्त्रचालित नैपसैक स्प्रेयर, 1500 हस्तचालित बागवानी यंत्र आबंटित किए गए हैं। प्रतिकूल मौसम या प्राकृतिक आपदा से होने वाले नुकसान से फल उत्पादकों को बचाने के लिए रबी मौसम 2017-18 में सेब, आम, आड़ू, पलम और नींबू प्रजातीय फलों के लिए राज्य के 110 विकास खण्डों में मौसम आधारित पुनर्गठित फसल बीमा योजना को लागू किया है।
इस योजना के अंतर्गत 1,61,524 किसानों को कवर किया गया है। 70,104 बागवानों को 49.94 करोड़ रुपये की बीमा राशि का प्रभावित बागवानों को भुगतान किया गया, जिसमें राज्य सरकार द्वारा 18.89 करोड़ रुपये दिए गए है। फल पौधों से अधिक व उत्तम गुणवत्ता की पैदावार प्राप्त करने के लिए उचित व संतुलित पोषक तत्वों के बारे परामर्श सेवा के अंतर्गत राज्य सरकार द्वारा हर वर्ष 20,000 पत्तियों के नमूनों का विश्लेषण किया जाता है। प्रदेश में बागवानी विकास के लिए 1134 करोड़ रूपये की सात वर्षीय विश्व बैंक पोषित हिमाचल प्रदेश बागवानी विकास परियोजना प्रारंभ की गई है।
इसका मुख्य उद्देश्य चिन्हित बागवानी उत्पादों तथा फसलों की उत्पादकता, गुणवत्ता एवं विपणन के लिए आधारभूत संरचना को बढ़ावा देना, लघु किसानों व कृषि उद्यमियों को सहायता प्रदान करना है। इस परियोजना के अंतर्गत 90,734 बागवानों को व्यक्तिगत सम्पर्क, प्रशिक्षण शिविर, सेमिनार, प्रशिक्षण भ्रमणों का आयोजन करके प्रशिक्षित किया गया। बागवानों को वितरण करने के लिए 25 लाख के 3,76,500 सम शीतोष्ण फल-पौधे (सेब व अखरोट) आयात किए गए। 9 लाख के 16,312 उपोष्णीय फल-पौधे (आम, लीची, अमरूद) अन्य राज्यों से मंगवाए गए।
बागवानी की आधुनिक तकनीक में अब तक 58 विभागीय अधिकारियों को राज्य के बाहर प्रशिक्षित किया गया है। इसके अतिरिक्त न्यूजीलैंड से आए अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों द्वारा 320 विभागीय अधिकारियों व 501 बागवानों को इस दौरान प्रशिक्षित किया गया। प्रदेश सरकार द्वारा विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं से हुए नुकसान की क्षतिपूर्ति के लिए उद्यान विभाग को आपदा राहत कोष के अंतर्गत 2.7 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है।
प्रदेश के बागवानों को सामायिक तकनीकी जानकारी प्रदान करने के लिए एम-किसान योजना प्रारंभ की गई, जिसके अंतर्गत 7,68,774 किसानों का पंजीकरण किया गया है ताकि बागवान अपनी समस्याओं का तत्काल समाधान प्राप्त करके सफल फल उत्पादन कर सकें। प्रदेश के उपोष्णीय क्षेत्रों में बागवानी विकास के लिए एशियन विकास बैंक की सहायता से 1688 करोड़ रुपये की परियोजना का प्रस्ताव किया गया है ताकि प्रदेश के शेष भागों में भी बागवानी गतिविधियां आरंभ की जा सकें। सरकार के इन प्रयासों से भविष्य में इस प्रदेश को देश का अग्रणी फल उत्पादक राज्य बनाने में सहायता मिलेगी। बागवानों की आय में भी आशातीत वृद्धि संभव हो सकेगी।