मंडी : शहर के ऐतिहासिक पैलेस की दुर्दशा पर सैनिक कल्याण मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने कड़ा संज्ञान लिया है। मंत्री ने खुद मौके पर जाकर सारी स्थिति का जायजा लेने और उचित कार्रवाई अमल में लाने की बात कही है। बता दें कि शहर के राजपरिवार का ऐतिहासिक पैलेस इस वक्त सोल्जर बोर्ड के हवाले है। इसमें सोल्जर बोर्ड, बीआरओ ऑफिस और आर्मी कैंटीन का संचालन हो रहा है। लेकिन इस ऐतिहासिक भवन की उचित देखभाल न होने के चलते यह खंडहर बनता जा रहा है। भवन की दीवारों पर पेड़ और झाडि़यां उग आई हैं। बाहर से भवन काले रंग का हो गया है।
इस भवन की दुर्दशा पहले भी मीडिया में उजागर की गई, लेकिन सोल्जर बोर्ड की तरफ से कोई कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई। अब मामला प्रदेश के सैनिक कल्याण मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर के पास पहुंचा है। मंत्री ने तुरंत कार्रवाई का भरोसा दिलाया है। बता दें कि राजा जोगिंद्र सेन ने इस पैलेस का निर्माण करवाया था। इसके बाद इस पूरे वार्ड को पैलेस कॉलोनी का नाम मिला। पैलेस में सुरक्षा इतनी पुख्ता होती थी कि यहां परिंदा भी पर नहीं मार सकता था। दो मंजिला इस पैलेस की ऊपरी मंजिल में राजा अपने परिवार के साथ रहते थे।
धरातल वाली मंजिल पर राजा का कार्यालय चलता था, जहां पर उनके निजी सचिव और अन्य कर्मचारी बैठते थे। रियासत की महत्वपूर्ण बैठकें इसी पैलेस की ऊपरी मंजिल में हुआ करती थी। जिसे अनुमति मिलती थी वही इस पैलेस में प्रवेश करता था, जबकि इसके अलावा किसी को भी अंदर नहीं आने दिया जाता था। बताया जाता है कि राज परिवार के सदस्यों ने वर्ष 1977 में इस पैलेस को और इसके साथ लगती 7 बीघा जमीन को पूर्व सैनिक लीग को चार लाख रूपयों में बेच दिया। बाद में यह जमीन और पैलेस सोल्जर बोर्ड के अधीन हो गया। सोल्जर बोर्ड का कार्यालय यहीं से चलता है।
साथ ही आर्मी कैंटीन और सेना भर्ती कार्यालय भी यहीं इसी पैलेस से संचालित हो रहे हैं। लेकिन सोल्जर बोर्ड ने इस ऐतिहासिक पैलेस की मरम्मत की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया। स्थानीय निवासी संजीव डिसिल्वा और बिमला देवी ने बताया कि ऐतिहासिक धरोहर की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा और यह खंडहर बनती जा रही है। इन्होंने इसकी उचित देखभाल करने की मांग उठाई है।
बहरहाल सैनिक कल्याण मंत्री ने उचित कार्रवाई का भरोसा तो दिलाया है, मगर इंतजार उस पल का रहेगा जब वास्तविकता में इस भवन के जीर्णोद्धार का कार्य शुरू होगा। लोगों को यह पैलेस सच में पैलेस की तरह नजर आएगा, क्योंकि धरोहर ऐतिहासिक है। अगर समय रहते इसकी देख-रेख नहीं की गई तो फिर इसे मिटने में देर नहीं लगेगी और यह सिर्फ तस्वीरों में ही सिमट कर रह जाएगी।