शिमला (एमबीएम न्यूज) : राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने राजभवन में आयोजित राज्यस्तरीय शिक्षक दिवस समारोह के अवसर पर प्रदेश के चार राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त शिक्षकों को सम्मानित करने के साथ-साथ अन्य 16 शिक्षकों को राज्य स्तरीय पुरस्कार प्रदान किए। इस अवसर पर मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह भी उपस्थित थे।
राज्यपाल ने इस अवसर पर अध्यापकों को बधाई देते हुए कहा कि अध्यापक की राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका होती है और वे विद्यार्थियों सहित समग्र समाज के आदर्श होते हैं। उन्होंने कहा कि देश व समाज के विकास का पैमाना मानव विकास होता है न कि अधोसंरचना विकास। उन्होंने कहा कि शिक्षण की समृद्ध परम्पराओं व उच्च सोच की बदौलत ही हमारे देश को विश्व गुरू के रूप में जाना जाता है, जिसका श्रेय शिक्षकों को जाता है। उन्होंने कहा कि इन परम्पराओं को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है और अध्यापक अच्छे व्यवहार से विद्यार्थियों के प्ररेणास्रोत बनकर उन्हें एक जिम्मेदार नागरिक बनाकर उदाहरण स्थापित कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा तभी सार्थक मानी जा सकती है जब विद्यार्थी अपनी शिक्षा पूर्ण कर समाज के लिए सम्पदा बनें और देश के विकास में अपना योगदान दें।
आचार्य देवव्रत ने कहा कि संस्कृत हमारे देश की समृद्ध संस्कृति व साहित्य की द्योतक है। उन्होंने कहा कि संस्कृत को बढ़ावा देने से युवा पीढ़ी हमारी समृद्ध परम्पारिक विरासत के बारे में जागरूक होती है। उन्होंने आग्रह किया कि संस्कृत को प्रदेश के स्कूल में जमा दो स्तर तक पढ़ाया जाना चाहिए इससे सही अर्थों में देवभूमि हिमाचल में देव संस्कृति स्थापित होगी।
उन्होंने कहा कि अध्यापकों का विद्यार्थियों पर सर्वाधिक प्रभाव पड़ता है, वे बच्चों को नशीली वस्तुओं से दूर रहने के लिए प्रेरित करने व नशा मुक्त समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने अध्यापकों से आग्रह किया कि वे विद्यार्थियों को स्वच्छता के महत्व के बारे में शिक्षित करें और स्वच्छता अभियान को समाज में सफल बनाने में अध्यापक महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।
मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने पुरस्कार से सम्मानित अध्यापकों को बधाई देते हुए कहा कि अध्यापक समाज के स्तम्भ हैं और समाज को शिक्षित व जागरूक करने में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। उन्होंने कहा कि अध्यापकों को उनकी दी गई जिम्मेवारियों को सही प्रकार निभाना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कठिन परिश्रम की बदौलत इन अध्यापकों को यह पुरस्कार प्राप्त हुआ है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि अन्य अध्यापक भी उनसे प्ररेणा लेंगे और शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने के लिए प्रेरित होंगे। उन्होंने कहा कि किसी भी राष्ट्र के सामाजिक-आर्थिक विकास में अध्यापकों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
वीरभद्र सिंह ने कहा कि विद्यार्थियों को न केवल शिक्षित करना चाहिए बल्कि उन्हें संस्कारयुक्त नागरिक बनाना चाहिए जिसकी जिम्मेवारी सीधे तौर पर शिक्षकों पर निर्भर है। उन्होंने कहा कि युवाओं को शिक्षित करने का ध्येय वाणिज्यिक नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अध्यापकों का यह दायित्व भी बनता है कि वे समाज की बेहतरी व अनुशासित नागरिकों के निर्माण में अपनी भूमिका सुनिश्चित करें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार राज्य के प्रत्येक बच्चे को शिक्षा प्रदान करने के लिए वचनबद्ध है। उन्होंने कहा कि यदि दूरदराज क्षेत्रों में पांच से कम बच्चे भी हो तो सरकार ऐसे क्षेत्रों में प्राथमिक पाठशालाएं खोलेगी ताकि कोई भी बच्चा शिक्षण संस्थानों की दूरी की वजह से अशिक्षित न रहें।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार का ध्येय है कि बच्चों को उनके घर द्वार के नजदीक गुणात्मक शिक्षा उपलब्ध हो और इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए वर्तमान सरकार ने अपने अढ़ाई वर्ष के कार्यकाल के दौरान 22 से अधिक डिग्री कॉलेज खोले और 750 से अधिक स्कूल खोले व स्तरोन्नत किए गए हैं। राज्य के अध्यापकों की प्रशंसा करते हुए मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि उनके प्रयासों से ही हिमाचल प्रदेश साक्षरता के क्षेत्र में केरल के बाद दूसरे स्थान पर है और आज प्रदेश की साक्षरता दर 82.80 प्रतिशत है। इस अवसर पर राज्यपाल तथा मुख्यमंत्री ने स्मारिका का विमोचन भी किया। अतिरिक्त मुख्य सचिव पी.सी. धीमान ने राज्यपाल तथा मुख्यमंत्री का स्वागत किया। उन्होंने विभाग की गतिविधियों बारे भी संक्षिप्त जानकारी दी। प्राथमिक शिक्षा निदेशक आर.के. प्रूथी ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। इस अवसर पर रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया।
इस अवसर पर राज्यपाल ने राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त शिक्षक राजेन्द्र सिंह, प्रधानाचार्य, वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला राजवाड़ी, जिला मण्डी, गोपाल चन्द, मुख्याध्यापक, राजकीय उच्च पाठशाला, मझारानूं, जिला मण्डी, रत्न चन्द शास्त्री, सेवानिवृत्त, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला मझीन, जिला कांगड़ा तथा निर्जला कुमारी, मुख्याध्यापक, राजकीय प्राथमिक पाठशाला, नगरोटा सूरियां, जिला कांगड़ा को सम्मानित करने के अतिरिक्त नरेश राणा, प्रधानाचार्य, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला, घरान, जिला मण्डी, कमल शर्मा, मुख्याध्यापक राजकीय उच्च पाठशाला, मटार, जिला सिरमौर, संजय देष्टा, प्रवक्ता, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला, लालपानी, जिला शिमला, टेक सिंह परमार, प्रवक्ता, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला, मकरेड़ी, जिला मण्डी, राकेश कुमार, डीपीई, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला, बगड़ागलू, जिला मण्डी, संतोष कुमार, टीजीटी, राजकीय माध्यमिक पाठशाला, भकरेड़ी, जिला हमीरपुर, किशोर कुमार, टीजीटी, राजकीय माध्यमिक पाठशाला, जोबड़ी, जिला सोलन, मीना कुमारी, टीजीटी, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला, मण्डी, दुर्गा नन्द, शास्त्री, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला, सोलन, निशा राणा, डीएम, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला, मझवाड़, जिला मण्डी, महेन्द्र लाल शर्मा, जेबीटी, राजकीय प्राथमिक पाठशाला, क्यालू, जिला शिमला, कमलेश कुमार, जेबीटी, राजकीय प्राथमिक पाठशाला, बुम्बलू, जिला हमीरपुर, कुलदीप सिंह, जेबीटी, राजकीय प्राथमिक पाठशाला, बडेहड़ा राजपुतां, जिला ऊना, सरोजनी मेहता, जेबीटी, प्राथमिक पाठशाला दत्तनगर, जिला शिमला तथा वीरेन्द्र कुमार, जेबीटी, राजकीय प्राथमिक पाठशाला, मोहरी, जिला शिमला को राज्य स्तरीय पुरस्कार 2015 से सम्मानित किया। लेडी गर्वनर दर्शना देवी, मुख्य संसदीय सचिव नीरज भारती तथा नन्द लाल, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के कुलपति ए.डी.एन. बाजपेई, निदेशक सूचना एवं जन सम्पर्क डा. एम.पी. सूद, शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी व अन्य गणमान्य व्यक्ति इस अवसर पर उपस्थित थे।