वी कुमार/मंडी
पांडवों के अज्ञातवास का काफी समय देवभूमि हिमाचल की पहाडि़यों पर बीता और इस बात के कई प्रमाण आज भी मौजूद हैं। इन्हीं में से एक प्रमाण है मंडी जिला में रिवालसर की पहाडि़यों पर। हालांकि इसके बारे में काफी कम लोग जानते हैं, लेकिन यह एक ऐसा स्थान है, जहां अर्जुन ने तीर मारकर पानी निकाला और कुंती माता की प्यास बुझाई थी। आप भी जानिए, इस प्राचीन सरोवर के बारे में। मंडी जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर है रिवालसर।
रिवालसर की पहाडि़यों से होकर जब नैणा देवी मंदिर की तरफ जाते हैं तो रास्ते में मिलता है कुंती सर। यहां कुल 7 सरोवर हैं, इसी कारण इस स्थान को सरकीधार कहा जाता है। 7 सरोवरों का अपना-अपना महत्व है, लेकिन जिस सरोवर के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं उसकी कहानी महाभारत काल से जुड़ी हुई है। दंत कथाओं के अनुसार जब पांडव अज्ञातवास पर थे तो उस दौरान यहां की पहाडि़यों पर भी रूके थे। इन पहाडि़यों में गुफाएं हैं जहां पांडवों ने शरण ली थी। लेकिन यहां पानी नहीं था। कुंती को जब प्यास लगी तो उसने अर्जुन से पानी लाने को कहा। दूर-दूर तक पानी का नामो निशां नहीं था।
अर्जुन ने अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए धनुष पर तीर चढ़ाया और जमीन पर मारा। अर्जुन के शक्तिशाली तीर से पानी की धारा फूट पड़ी और देखते ही देखते यहां एक सरोवर बन गया। कुंती ने इस सरोवर का पानी पीकर अपनी प्यास बुझाई। वरिष्ठ साहित्यकार कृष्ण कुमार नूतन बताते हैं कि पदम पुराण में इस घटना का वर्णन मिलता है। शासन और प्रशासन ने भी इस झील को धार्मिक पर्यटन के रूप से विकसित करने का प्रयास किया है। यहां लोगों के बैठने की उचित व्यवस्था है जहां से लोग करीब से इस झील को देख सकते हैं। साथ ही झील के पास जाने के लिए भी रास्ता बनाया गया है।
लोग इस झील को करीब से देखकर खासे रोमांचित नजर आते हैं। लेकिन लोगों के मन में हमेशा एक सवाल उठता है कि इस झील का पानी कहां से आ रहा है और कहां जा रहा है। क्योंकि यह झील एक ऐसे स्थान पर मौजूद है, जहां न तो पानी के आने का कोई रास्ता नजर आता है और न ही जाने का। पर्यटक मनिंदर जीत सिंह और सपना शर्मा ने बताया कि यह सरोवर अपने आप में ही काफी रोचक है।
इस पानी की खासियत यह भी है कि यह कभी नहीं सूखता। आसपास जो और सरोवर हैं उनका पानी बरसात में ही होता है, लेकिन इसका पानी वर्ष भर रहता है। चाहे जितनी भी प्रचंड गर्मी हो जाए इस सरोवर में आपको पानी मिलेगा ही। और तो और आईपीएच विभाग भी आसपास के 40 गांवों की प्यास बुझाने के लिए इसी सरोवर के पानी का इस्तेमाल करता है। स्थानीय निवासी हिम्मती देवी ने बताया कि विभाग इसी पानी की सप्लाई आसपास के इलाकों में करता है।