एमबीएम न्यूज़/नाहन
सिरमौर के पच्छाद विकास खंड की बाग पशोग पंचायत के लोहारडी-पथरोटी गांव के साधारण परिवार में जन्में आईएएस डॉ. राजेंद्र शांडिल्य प्रधानमंत्री कार्यालय में फिर बड़ी जिम्मेदारी निभा सकते हैं। महज 40 साल की उम्र में डॉ. शांडिल्य ने प्रधानमंत्री कार्यालय में बतौर निदेशक जुलाई 2018 में पारी शुरू की थी। पीएम मोदी ने उनकी कार्यकुशलता गुजरात में सीएम रहते हुए ही आंकी थी। 2004 बैच के आईएएस अधिकारी डॉ. शांडिल्य को गुजरात कैडर मिला था।
जुलाई 2011 से मई 2016 तक वो गुजरात के राजकोट व सूरत में बतौर डिस्ट्रिक्ट मेजिस्ट्रेट तैनात रहे। लगभग 15 साल के कैरियर में उन्होंने उस समय लंबी छलांग लगाई थी, जब पीएमओ में बतौर निदेशक कार्यभार संभाला था। माना गया था कि गुजरात में बेहतरीन कार्यशैली के कारण ही डॉ. शांडिल्य को प्रधानमंत्री कार्यालय में नियुक्ति दी गई थी। उल्लेखनीय है कि पीएमओ में पांच आईएएस को निदेशक पद की जिम्मेदारी मिलती है। गुजरात में 2012 के विधानसभा चुनाव में कुशल प्रबंधन पर डॉ. शांडिल्य को बेहतरीन डीएम का भी अवार्ड मिला था। इसी तरह 2014 के लोकसभा चुनाव में भी बेहतरीन डीएम आंके गए थे। 2016 में इंटरनेशनल सैंट्रल फॉर पार्लियामेंट्री स्टडीज लंदन ने भी कुशल प्रशासक के तौर पर पुरस्कृत किया था।
हालांकि पुख्ता तौर पर नहीं कहा जा सकता, लेकिन संभव है कि पहली बार कोई हिमाचली बेटा इस बड़े ओहदे तक महज 40 साल की उम्र में पहुंचा होगा। उल्लेखनीय है कि एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने पाठकों को डॉ. राजेंद्र शांडिल्य की साधारण शख्सियत के बारे में 4 सितंबर 2016 को अवगत करवाया था। देवभूमि के छोटे से गांव से निकल कर डॉ. शांडिल्य ने देश के कई राज्यों में अपनी कार्यशैली का रुतबा कायम किया। करीब पौने दो साल पहले ही गुजरात से केंद्रीय डेपुटेशन पर आ गए थे। 18 फरवरी 1978 को जन्में डॉ. राजेंद्र ने बीएमएस की पढ़ाई एमडीयू रोहतक से पूरी करने के बाद यूपीएससी की परीक्षाा में सफलता अर्जित की थी।
प्रधानमंत्री के गृह राज्य में इस तरह की थी उपलब्धियां..
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य गुजरात में बतौर आईएएस अधिकारी डॉ. शांडिल्य ने बेहतरीन कार्य किया। गुजरात में विकास की योजनाओं को लेकर कई आयाम स्थापित किए। यही बड़ी वजह थी कि उन्हें करीब 12 साल के कैरियर में आधा वक्त बतौर डीएम गुजारने का मौका मिला। उल्लेखनीय है कि दो साल का वक्त प्रोबेशनल पीरियड होता है। यानि 10 में से 6 साल डीएम पद की जिम्मेदारी अपने आप में एक रिकॉर्ड मानी जा सकती है।
क्या है पृष्ठभूमि…
बागपशोग के लोहारडी-पथरोटी गांव में डॉ. शांडिल्य का जन्म स्व. पंडित जगदीश दत्त व सत्या देवी के घर हुआ था। पिता के देहान्त के बाद माता सत्या देवी साथ ही रह रही है। कोशिश करते हैं कि व्यस्त शैडयूल में से साल में एक-दो बार अपने पैतृक गांव आया जाए। पीएमओ में निदेशक के पद पर नियुक्ति की खबर भी डॉ शांडिल्य को पैतृक गांव में ही मिली थी।
क्या बोले…
एमबीएम न्यूज नेटवर्क से डॉ. राजेंद्र शांडिल्य ने कहा कि जो भी जिम्मेदारी मिलती है उसकी कसौटी पर खरा उतरने की कोशिश करते है। उन्होंने कहा कि आप जब प्रदेश में कार्य कर रहे होते हैं तो सीएम कार्यालय में काम का मौका चाहते हो। इसी तरह जब आप राष्ट्रीय स्तर पर अपनी सेवाएं देते हों तो प्रधानमंत्री कार्यालय में सर्व करने की प्रबल इच्छा रहती है। उन्होंने कहा कि अक्सर वो दिल्ली में जब बात करते हैं तो चर्चा ईमानदारी व मेहनतकश हिमाचलियों की होती है। आसपास के राज्यों में बड़े-बड़े शोरूम में काऊंटर्स पर इसलिए हिमाचली नजर आते हैंं, क्योंकि ईमानदारी होती है।