रेणु कश्यप/नाहन
युवाओं में 27 साल के राजीव राजा के हुनर की दिवानगी सिर चढ़कर बोलती है। हो भी क्यों न, राजीव ने हुनर की बदौलत म्यूजिक जगत में युवाओं के दिल में जबरदस्त तरीके से पैठ बनाई है। कमाल देखिए, आज राजीव राजा को दुनिया के कई देशों में प्रशंसक पहचानते हैं, लेकिन अपने पैतृक क्षेत्र में राजीव के सुपरहिट गीत सुने तो जाते हैं, लेकिन काफी कम लोग इस बात को जानते हैं कि इन गीतों का सूत्रधार अपना ही लाल है।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क को राजीव राजा से फोन पर लंबी बातचीत करने का मौका मिला। इस दौरान कई आश्चर्यचकित करने वाले पहलू भी उजागर हुए। शायद ही राजीव राजा के प्रशंसक जानते होंगे कि एक समय वो पढ़ाई के लिए हर रोज राजगढ़ के मंडियाघाट से 14 किलोमीटर का सफर पैदल ही करता था। 27 साल के राजीव को म्यूजिक में पढ़ाई करनी थी, जो घर के नजदीक नहीं थी। एक सवाल के जवाब में राजीव बेहद ही भावुक हो गया। बोला, घर के हालात ठीक होते तो मौसी के घर पढ़ाई करने क्यों जाता।
2013 में सोलन से आर्थिक चुनौतियों के चलते म्यूजिक में ग्रैजुएशन करने के बाद शिमला विश्वविद्यालय से एमए की पढ़ाई पूरी की। शुरूआती चरण में पहाड़ी गीत भी बनाए, लेकिन धीरे-धीरे अनुभव के साथ आज की तकनीक के तहत बदलाव किए।
अब आप यह जानकर दंग रह जाएंगे कि राजीव राजा के के दो गीतों को यू-टयूब पर 30 करोड़ व्यूज मिल चुके हैं। अगर ओवरऑल आंकलन किया जाए तो आंकड़ा 50 करोड़ का भी हो सकता है। पझौता के कुम्हारला में बाबू राम शर्मा के घर जन्में राजीव ने बचपन से ही संघर्ष किया है। मगर अब अपने हुनर की बदौलत मुंबई में फलक छूने को बेकरार है।
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यू-टयूब पर जिस तरीके से राजीव राजा ने बुलंदियों को छुआ है, उससे यह साफ प्रतीत हो रहा है कि जल्द ही फिल्मी दुनिया के पार्श्व गायन में भी राजीव राजा सफलता को पाएगा। खास बातचीत के दौरान राजीव का यह भी कहना था कि वो अपनी मातृभूमि से बेहद जुड़ाव रखता है। उनका यह भी कहना था कि दुबई ट्रिप के दौरान जब उन्हें प्रशंसकों ने एयरपोर्ट पर पहचाना तो आप इस बात की कल्पना भी नहीं कर सकते कि मेरी खुशी का क्या ठिकाना रहा होगा।