एमबीएम न्यूज़/नाहन
डॉ. वाईएस परमार मेडिकल कॉलेज में सुरक्षा राम भरोसे है। मंगलवार को ओपीडी से ही एक गरीब की पॉकेट मार ली गई। करीब 60 साल के राजेंद्र कुमार पेशे से लिपाई-पुताई का कार्य करता है, लेकिन कुछ अरसे से सेहत इसके लिए भी इजाजत नहीं दे रही। बदकिस्मती से अपने गाढ़े खून-पसीने की कमाई को पर्स में रख लिया था। फोन पर एमबीएम न्यूज नेटवर्क को अपनी आपबीती सुनाते-सुनाते राजेंद्र कुमार फूट-फूट कर रोने लगे। उन्होंने बताया कि वह ओपीडी में पर्ची बनवाने की लाइन में खड़े थे।
इसी दौरान काउंटर पर बैठे व्यक्ति ने उनसे मोबाइल नंबर पूछा। इसे बताने के लिए उन्होंने पर्स जेब से निकाला था। इसके बाद वह कमरा नंबर 208 में चले गए। यहां सुरक्षाकर्मी ने उन्हें बैठने के लिए कहा, लेकिन वहां बैठने के लिए जगह नहीं थी। अचानक ही जब पर्स की तरफ ध्यान गया तो पाया कि जेब में पर्स नहीं था। राजेंद्र ने तुरंत ही इस मामले की जानकारी गुन्नूघाट पुलिस को दी गई। एक मिनट गवाए बगैर ही पुलिस टीम तफ्तीश के लिए मेडिकल कॉलेज पहुंच गई। सवाल इस बात पर उठता है कि सुरक्षा के नाम पर मेडिकल कॉलेज में भारी भरकम व्यवस्था के दावे किए जाते हैं। लेकिन गरीब रोगियों के साथ हर रोज ही कोई न कोई घटना हो रही है।
प्रश्न इस बात पर भी पैदा होता है कि मेडिकल कॉलेज की भीड़भाड़ वाली ओपीडी में अब तक सीसीटीवी कैमरों की व्यवस्था क्यों नहीं की गई है, जबकि बजट की कमी नहीं है। बहरहाल राजेंद्र कुमार की आपबीती ने उन लोगों को भी सचेत किया है जो यह समझ कर ओपीडी में उपचार के लिए पहुंचते हैं कि वहां सुरक्षा व्यवस्था मौजूद है। अमरपुर मोहल्ला के रहने वाले राजेंद्र कुमार का यह भी कहना था कि पुलिस पूरा सहयोग कर रही है। उन्होंने कहा कि खून-पसीने की कमाई चोरी हुई है।
उल्लेखनीय है कि वार्ड के भीतर से भी मरीजों व तीमारदारों के मोबाइल व अन्य सामान चोरी होने की घटनाएं भी सामने आती रही है। मेडिकल कॉलेज प्रशासन की लापरवाही का खामियाजा मरीजों साथ पुलिस को भी भुगतना पड़ता है।