एमबीएम न्यूज़/शिमला
इन दिनों चुनावी माहौल में देश भर में फूलों की तगड़ी मांग है। हिमाचल में डेढ़ दशक से युवाओं में फूलों की खेती का रुझान काफी बड़ा है। युवा पोलीहॉउस लगा कर विदेशी फूल भी तैयार कर रहें हैं। मगर हिमाचल में मार्किट न होने से फूल उत्पादकों को उनकी मेहनत का उचित दाम नहीं मिल रहा है। मज़बूरी में फूल बेचने के लिए दिल्ली जाना पड़ता है। प्रदेश में इस समय करीब 92 करोड़ का फूलों का कारोबार है।
काँगड़ा, सोलन और सिरमौर जिले में फूल उत्पादक व्यापक स्तर पर खेती कर रहे हैं। गेंदे और गुलाब से आगे बढ़ते हुए किसानो ने लिली और आकेन्ड जैसे महंगे फूलों को भी तैयार करना शुरू किया है। इसके अलावा कारनेशन, ग्लेडलस, जरवेरा व गुलाउदी जैसे फूल भी पैदा कर रहे हैं। प्रदेश के राजगढ़, पालमपुर, धर्मशाला, करसोग, सुंदरनगर, जोगिंद्रनगर के फूलों की मांग विशेष तौर पर रहती है।
मार्किट न होने के कारण किसान एचआरटीसी की बस में इन क्षेत्रों से दिल्ली के लिए लाखों रुपए के फूल विशेष बस में भेजे जाते हैं। दिल्ली में आढ़ती इन फूलों पर मुनाफा कमा कर उन्हें देश भर में सप्लाई करते हैं। किसानों पुष्पेंद्र, हरपाल, राजेंद्र भंडारी की मांग है कि सरकार को चंडीगढ़ में वातानुकूलित बाजार उपलब्ध करवाया जाए। ताकि सही मायनों में उन्हें अपने उत्पाद का उचित मूल्य मिल सके।