एमबीएम न्यूज़/शिमला
ऊर्जा राज्य के नाम से मशहूर हिमाचल प्रदेश पड़ोस के कई राज्यों को बिजली उपलब्ध करवाता है। सरकार बिजली बेच कर करोड़ों रुपए की कमाई करके अपने खजाने को भर रही है। सरकार प्रदेश में 100 फीसदी विद्युतीकरण के दावे करते नहीं थकती है। मगर प्रदेश के दूर-दराज के क्षेत्रों में कई गांव ऐसे है, जहां सरकार ने बिजली पहुंचाने की औपचारिकता तो पूरी कर दी है। मगर विद्युत बोर्ड की लाचार कार्यप्रणाली लोगों की जान के लिए आफत बन गई है।
सिरमौर जिले के हरिपुरधार से सटी शिमला के कुपवी तहसील की नौरा-बौरा पंचायत के चार गांव के सैंकड़ों लोगों की जान के लिए लाचार विद्युत व्यवस्था आफत बनी हुई है। पंचायत के दोफ्ता, कथाड़, कुटोइर व रेहयुश-धार आदि गांव में करीब 25 वर्ष पहले बिजली उपलब्ध करवाई गई थी। उस दौरान लकड़ी के खंभे गाड़ कर लाइन बिछाई गई थी। इन गांव के लिए जाने वाली लाइन के लगभग 70 से अधिक खंभे 5 वर्ष पहले ही पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। हैरानी की बात यह है कि विद्युत बोर्ड की और से क्षतिग्रस्त हुए खंभों को बदलने के लिए कोई भी प्रयास नहीं किए गए।
अब आलम यह है कि हर लाइन में मात्र 30 से 40 खंभे शेष बचे हैं। नए खंभे लगाने की बजाए बोर्ड के कर्मचारियों ने 10 स्थानों पर बिजली की तारों को लकड़ी के पेड़ों से बांधा है। अधिक खंभों के टूटने से बिजली की तारें कहीं खेतों में लहलाती फसलों पर बिछी हुई हैं, तो कहीं तारें लोगों की घासनियों में लटकी हुई हैं। जंगलों में भी कई स्थानों पर तारें पेड़ों में झूल रही हैं। लोगों में करंट का इतना खौफ है कि वह न तो अपनी फसलों को खेत से निकाल पा रहे हैं और न ही खुद घर से बहार निकल पा रहे हैं।
फसलों की नहीं कर पा रहे कटाई….
दोफ्ता व कथाड़ गांव के किसान जीवन सिंह, ज्ञान सिंह, बारु राम, गंगाराम व सूरत सिंह ने बताया कि उनके खेतों में जौ व गेहूं की फसल पर बिजली की नंगी तारें बिछी हुई हैं। उन्होंने बताया कि कंरट के डर से वह खेतों में नहीं जा पा रहा है।
किसानों ने बताया कि खेतों में जौ व गेहूं की फसल तैयार है। मगर करंट लगने के डर से फसल की कटाई नहीं कर पा रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि घासनियों व जंगल में कई स्थानों पर तारें जमीन को छू रही हैं, जिसके कारण वह पशुओं का चारा लाने में भी भारी दिक्क़तों का सामना कर रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि उन्हें अपने पशुओं को चराने के लिए जंगल ले जाने में भी भारी दिक्क्तें आ रही हैं।
खौफ के साए में जी रहे लोग….
जगत सिंह, मेला राम, सनिया, देवराज, कपिल, कुदंन सिंह, शिवराम, रविदत व रोशन आदि ग्रामीणों ने बताया कि चार गांव के लोग पिछले दो तीन वर्षों से खौफ में जीवन व्यतीत कर रहे हैं। रोजाना किसी अनहोनी का अंदेशा बना रहता है। ग्रामीणों ने बताया कि वह बोर्ड के कर्मचारियों से भी इसकी शिकायत कई बार कर चुके हैं। मगर बोर्ड की और से लाइन्स की मरम्मत के लिए कोई भी प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि तहसील मुख्यालय कुपवी में आयोजित लोक अदालत में भी उन्होंने इस समस्या को जोरों से उठाया था। मगर उसके बाद भी लाइन्स की मरम्मत का कार्य शुरू नहीं हुआ।
एसडीओ-एक्सईएन के पद खाली, कैसे होगा काम….
कुपवी में एसडीओ का पद पिछले एक वर्ष से खाली पड़ा है। एक्सईएन चौपाल सेवानिवृत हो गए हैं। जिसके कारण चौपाल में एक्सईएन का पद खाली हो गया है। कुपवी के जेई की ड्यूटी भी इलेक्शन में है। लोग इस बात को लेकर चिंतित हैं कि अब काम कैसे हो पाएंगे। एसडीओ कुपवी गुरमीत सिंह ने बताया कि नौरा-बोरा पंचायत के लिए लोहे के खंभे लगाने के लिए योजना को तैयार किया गया है। विभागीय स्वीकृत प्रदान होते ही खंभों को लगाने का कार्य शुरू कर दिया जाएगा।