एमबीएम न्यूज़/नाहन
सिरमौर ने बीती रात एक विद्वान पंडित महेंद्र सिंह (75) को खो दिया है। जानकारी के मुताबिक पंडित महेंद्र सिंह ने शिमला में अंतिम सांस ली। संगड़ाह उपमंडल के लादी-महल व हरिपुरधार के इलाकों में “कन्याल पंडित” के नाम से मशहूर महेंद्र सिंह ने ताउम्र मानव सेवा को अर्पित कर दी थी। एमबीएम न्यूज नेटवर्क द्वारा जुटाई गई जानकारी के मुताबिक दिवंगत महेंद्र सिंह एक ऐसे शख्स थे, जिनके पास क्षेत्र के लोगों की कई पीढ़ियों का रिकॉर्ड उपलब्ध था। जानकारी के मुताबिक पंडित महेंद्र सिंह हरिपुरधार क्षेत्र की 12 पंचायतों के कुल पुरोहित थे। लगभग 30 हजार की आबादी से उनका सीधा नाता रहा है।
बुधवार दोपहर को पंडित महेंद्र सिंह का पैतृक गांव में अंतिम संस्कार कर दिया गया। सड़क से पैतृक घर दूर होने के बावजूद बड़ी संख्या में उनके जजमान घर पहुंच रहे हैं। पूरा इलाका शोक की लहर में डूब गया है। क्षेत्र के रहने वाले सही राम ठाकुर का कहना है कि अगर कोई जन्मपत्री खो देता था तो पंडित जी के पास सालों तक सुरक्षित रहती थी। दिवंगत महेंद्र सिंह के निधन से समूचे इलाके के हजारों लोग गमगीन हो गए हैं। बताया जा रहा है कि हरिपुरधार क्षेत्र के बड़ोल पंचायत के कुण गांव की रहने वाले पंडित महेंद्र सिंह सांचा विद्या के भी बड़े विद्वान थे।
सोमवार को स्ट्रोक आने की वजह से पंडित जी को शिमला उपचार के लिए ले जाया जा रहा था, इसी बीच रास्ते में तबीयत खराब होने पर उनका सोलन में भी चेकअप करवाया गया। बताते हैं कि संस्कृत भाषा के विद्वानों में पंडित महेंद्र सिंह को सत्यनारायण की कथा जुबानी ही याद थी। वह अपने पीछे तीन बेटों का परिवार छोड़ गए हैं। उल्लेखनीय है कि सिरमौर के दुर्गम इलाकों में आज भी ऐसे विद्वान हैं, जो ज्योतिष के साथ-साथ सांचा विद्या के महान ज्ञाता थे।
सही राम ठाकुर का यह भी कहना था कि पंडित महिंद्र सिंह की हर बात को हजारों जजमान सिर झुका कर स्वीकार करते थे। इलाके के वरिष्ठ पत्रकार भीम सिंह ठाकुर का कहना है कि पंडित जी के जाने से समूचे इलाके को भारी क्षति हुई है।