एमबीएम न्यूज/ शिमला
समूचे प्रदेश में नशाखोरी पुलिस के निशाने पर है। एक अरसे से पुलिस कारोबारियों की जड़ तक पहुंचने की कोशिश कर रही है। पहले बड़ी चिंता यह पैदा हो रही थी कि हेरोइन अब बेधड़क देवभूमि में पहुंच रही थी। कुछ अरसे से यह सामने आ रहा था कि नशेडियो व तस्करों से एक साथ हेरोइन व चरस क्यों बरामद हो रही है। इसका कारण ढूंढने की कोशिश की गई तो पता चला कि नशा करने वाले हेरोइन व चरस का इस्तेमाल एक साथ कर रहे हैं।
फॉयल पेपर का इस्तेमाल कर पहले हेरोइन का सेवन किया जाता है। साथ ही चरस की चिलम भी तैयार होती है। विशेषज्ञों की मानें तो इससे नशा करने वालों के शरीर पर दोहरे दुष्प्रभाव पड़ रहे हैं। जानकार यह भी बताते हैं कि वाहन में पेपर फॉयल की सरप्लस उपलब्धता भी इस बात का संकेत है कि गाड़ी में चिट्टा व हेरोइन मौजूद हैं। कुल्लू, सोलन व शिमला पुलिस ने पिछले एक साल में अफ्रीकन मूल के नशा तस्करों को गिरफ्तार करने में कामयाबी हासिल की है, लेकिन यह बात अब भी पहेली है कि अफ्रीकी मूल के नशा तस्करों का नेटवर्क कैसे देवभूमि में बना है। इसकी तह तक अगर पुलिस पहुंचती है तो उस सूरत में हेरोइन सप्लायरों की कमर तोड़ी जा सकती है।
सिरमौर व बद्दी पुलिस ने करीब तीन सप्ताह के भीतर अफीम की खेती के चार मामलों से पर्दाफाश किया। इससे यही जाहिर होता है कि अब भी देवभूमि में नशे का उत्पादन हो रहा है। इसी माह पुलिस निदेशक एसआर मरडी की अध्यक्षता में पड़ोसी राज्यों के अधिकारियों के साथ एक समन्वय बैठक भी हुई थी। इसमें पुलिस महानिदशक ने कहा था कि नशे के कारोबार के खात्मे व डिजाइनर ड्रग्स के प्रवाह को रोकने के लिए एक नेटवर्क तैयार किया जाएगा। इसमें इनपुट देने वाले का नाम गोपनीय रखा जाएगा। मादक पदार्थों की तस्करी में नाईजीरिया व अन्य देशों के नागरिकों की संलिप्तता को लेकर एक रणनीति तैयार होगी।
कुल मिलाकर अहम बात यह है कि आम नागरिकों को पुलिस के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा होना होगा। इसी सूरत में युवा पीढ़ी को नशे की गर्त में जाने से बचाया जा सकता है।