एमबीएम न्यूज/नाहन
देवभूमि का इतिहास उतना ही प्राचीन है, जितना मानव अस्तित्व का अपना इतिहास। 15 अप्रैल 1948 को हिमाचल वजूद में आया। सोमवार को 72वां हिमाचल दिवस मनाया जा रहा था। सोशल मीडिया में जमकर शुभकामनाएं दी जा रही हैं, लेकिन आप यह जानकर हैरान हो जाएंगे कि शहर में प्रदेश निर्माता की प्रतिमा व शहीद स्मारक पर इस दिवस को मनाने के लिए कोई नहीं आया तो समाजसेवी व पेशे से छायाकार सुनील गौड़ उर्फ छुन्नू पसीज गए। सामने आकर खुद ही इस दिवस पर न केवल उस शख्स को याद किया, जिसकी बदौलत आज हिमाचल वजूद में है, बल्कि वीर सपूतों को भी शहीद स्मारक पर पहुंचकर नमन किया।
रोचक बात यह है कि मालरोड पर डॉ. वाईएस परमार की प्रतिमा के समीप नगर परिषद के कर्मी फूल मालाएं लेकर खडे़ थे, क्योंकि ऐसा आभास था कि शायद कोई वीआईपी पहुंच जाए। उल्लेखनीय है कि इस बार चुनाव आचार संहिता लागू है। संभवतः इसी कारण प्रदेश स्तर पर ही इस दिवस को मनाने का फैसला लिया गया था। लेकिन कुछ जिलों से अपने ही स्तर पर हिमाचल दिवस को मनाने की खबरें आ रही हैं। समाजसेवी सुनील गौड़ एक गुमनाम पर्यावरणविद भी हैं, जो अरसे से पौधारोपण करते आ रहे हैं। यहां तक की अपने बेटे को भी हर जन्मदिवस पर एक पौधा रोपित करने के संस्कार दिए हैं।
आधुनिकता के युग में हर कोई बदल गया है, लेकिन समाजसेवी सुनील गौड़ आज भी पुरानी परंपराओं को निभा रहे हैं। दशकों पहले मालरोड के सौंदर्यकरण को लेकर एक पार्क भी विकसित किया गया था, जिसका स्वरूप भी अब नगर परिषद द्वारा बदला जा रहा है। कुल मिलाकर सुनील गौड़ ने यह साबित कर दिया है कि अगर कारवां में अकेले भी होंगे तो परवाह नहीं, क्योंकि अक्सर अकेले निकले सफर में भीड़ खुद ब खुद जुट जाती है।
खास बात यह है कि प्रदेश निर्माता डॉ. वाई एस परमार का जन्म तो चनालग में हुआ, लेकिन शिक्षा नाहन में हुई। इस बात से कोई इत्तफाक नहीं रख सकता कि डॉ. वाई एस परमार की बदौलत ही आज हिमाचल वजूद में है। लिहाजा, उनकी अपनी जन्मस्थली में हिमाचल दिवस का अंदाज तो हर मायने में खास होना चाहिए था।